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Supreme Court asks Maharashtra Legislative Assembly Speaker to list disqualification petitions against 56 MLAs
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सुप्रीम कोर्ट: शिवसेना विधायकों की अयोग्यता वाली याचिकाओं पर फैसले में देरी पर जताई नाराजगी, कही यह बड़ी बात
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Mon, 18 Sep 2023 04:24 PM IST
कोर्ट शिवसेना (उद्धव ठाकरे) पार्टी के सांसद सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
महाराष्ट्र की सियासत के लिए एक बार फिर बड़ी खबर सामने आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के शिवसेना विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर फैसला लेने के लिए समयसीमा तय करने का निर्देश दिया। फैसला लेने में हो रही देरी पर नाराजगी जताते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को उच्चतम न्यायालय की गरिमा का सम्मान करना चाहिए।
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से कहा है कि वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 56 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं को एक सप्ताह के भीतर सुनवाई के लिए अपने सामने सूचीबद्ध करें। कोर्ट ने अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए एक समय-सारणी निर्धारित करने का भी निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि स्पीकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत कार्यवाही को अनिश्चितकाल तक टालकर नहीं रख सकते। कोर्ट के निर्देशों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए। सीजेआई ने संविधान पीठ के फैसले का जिक्र करते हुए पूछा कि कोर्ट के 11 मई के फैसले के बाद स्पीकर ने क्या किया? पीठ ने यह भी कहा कि मामले में दोनों पक्षों को मिलाकर कुल 34 याचिकाएं लंबित हैं। दरअसल, फैसले में स्पीकर को उचित अवधि में अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने का निर्देश दिया गया था।
सांसद सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई
कोर्ट शिवसेना (उद्धव ठाकरे) पार्टी के सांसद सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
सिब्बल की दलील
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी। उन्होंने कहा कि 11 मई के फैसले के बाद स्पीकर को कई अभ्यावेदन भेजे गए। चूंकि, कोई कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए वर्तमान रिट याचिका चार जुलाई को दायर की गई और 14 जुलाई को नोटिस जारी किया गया।
उन्होंने कहा कि स्पीकर संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत किसी मामले का निर्णय करते समय एक न्यायाधिकरण के रूप में कार्य करता है और सुप्रीम कोर्ट एक न्यायाधिकरण को परमादेश जारी कर सकता है।
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तुषार मेहता का जवाब
एसजी तुषार मेहता ने सिब्बल की दलीलों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह उपहास करने जैसा है। एक बात नहीं भूलनी चाहिए कि स्पीकर एक संवैधानिक पदाधिकारी हैं। हम अन्य संवैधानिक निकाय के सामने उनका उपहास नहीं उड़ा सकते।
हम इसे दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करेंगे: कोर्ट
इस पर सीजेआई ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ भी नहीं हुआ है। अंत में पीठ ने मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। सीजेआई ने कहा कि हम इसे दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करेंगे।
उचित समय में निर्णय लिया जाएगाः नारवेकर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नारवेकर ने कहा कि उन्हें आदेश की प्रति अभी नहीं मिली है। अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई का अपना तरीका होता है। उचित समय में निर्णय लिया जाएगा। नारवेकर ने यह भी कहा, मेरी जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि स्पीकर एक सांविधानिक पद है और कोर्ट उसके कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।
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