घने जंगलों के बीच रहने वाले नक्सलियों तक कोरोना वायरस पहुंच गया है। सुरक्षा बलों के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो सैंकड़ों की संख्या में नक्सली बीमार चल रहे हैं। भले ही अधिकारी इस बात को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करने में झिझक महसूस कर रहे हैं कि वे सब कोरोना संक्रमित हैं। अधिकांश की स्थिति गंभीर है। बीमार हुए अधिकांश नक्सलियों में कोरोना संक्रमण जैसे लक्षण बताए गए हैं। जिन नक्सलियों की हालत ज्यादा खराब हो रही है, उन्होंने पुलिस एवं सुरक्षा बलों के आगे आत्मसमर्पण करना शुरू कर दिया है। पिछले तीन चार दिनों में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में करीब आधा दर्जन नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। जांच के दौरान इन सभी नक्सलियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सुरक्षा बलों ने अपने वादे के मुताबिक, संक्रमित नक्सलियों को 'प्राणवायु' यानी ऑक्सीजन देकर कोविड सेंटर में भेज दिया है।
सुरक्षा बलों को लगातार इस तरह की खुफिया सूचनाएं मिल रही हैं कि छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों में बड़े पैमाने पर नक्सली आत्मसमर्पण कर सकते हैं। नक्सलियों के प्रभाव वाले सभी जिलों में पुलिस एवं केंद्रीय सुरक्षा बलों को सचेत कर दिया गया है कि वे अपने कैंपों के आसपास नजर रखें। नक्सली, आत्मसमर्पण करने की सूचना इन्हीं कैंपों पर देते हैं। सुरक्षा बलों के अधिकारियों का कहना है कि अब कोरोना संक्रमण, जंगल तक फैल चुका है। अभी तक जो सूचनाएं मिली हैं कि उनके मुताबिक, बड़ी संख्या में नक्सली बीमार हो गए हैं। वहां तक दवाएं तो पहुंच रही हैं, लेकिन ऑक्सीजन का सिलेंडर पहुंचना मुश्किल हो गया है। इसके चलते उन्हें पुलिस एवं सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ रहा है। सुरक्षा बलों ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि वे आत्मसमर्पण करते हैं तो उन्हें ऑक्सीजन देकर अस्पताल तक पहुंचा दिया जाएगा। नक्सलियों के बीच इस बात को लेकर मतभेद हैं कि बीमार सदस्यों में से पहले कौन बाहर जाएगा यानी आत्मसमर्पण करेगा। पहली पंक्ति में टॉप लीडर्स को शामिल किया गया है। खासतौर पर वे नक्सली, जिनके सिर पर बड़ा इनाम है।
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में एक दिन पहले ही चार नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। कोविड केयर सेंटर पर जब इनका टेस्ट किया गया तो तीन लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं। दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिषेक पल्लव का कहना है, चारों नक्सलियों ने आत्मसमर्पण करने की पूर्व सूचना दे दी थी। इन नक्सलियों ने बोदली कैंप पर ग्रामीणों के बीच आत्मसमर्पण किया है। खास बात ये है कि इनमें एक लाख रुपये के इनामी नक्सली भी हैं। कांकेर जिले में भी नक्सली अर्जुन ताती और लक्ष्मी पद्दा ने आत्मसमर्पण किया है। ये दोनों दंपति बताए जाते हैं। इन्होंने अपने आत्मसमर्पण से पहले ही यह आशंका जाहिर की थी कि वे कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। दोनों ने कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र के अंतर्गत बीएसएफ के कामतेड़ा गांव में स्थापित किए गए कैंप पर आत्मसमर्पण किया था। इनके साथ भी कुछ ग्रामीण आए थे। पुलिस ने जब इनकी जांच कराई तो दोनों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
ग्रामीणों को अब यह अहसास हो रहा है कि नक्सली उन्हें कोरोना संक्रमित कर सकते हैं। अभी तक कई जगहों पर नक्सलियों को लेकर आसपास के ग्रामीण सुरक्षा बलों का विरोध करते रहे हैं। चूंकि नक्सली जंगलों के बीच दूर दराज के गांवों में रहने वाले लोगों के पास आते रहते हैं, इसलिए उनका संक्रमण ग्रामीणों तक फैल रहा है। पुलिस एवं केंद्रीय सुरक्षा बलों ने जब ग्रामीणों को समझाया कि इससे वे बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं, तो उन्होंने कई बीमार नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया। ग्रामीणों से कहा गया है कि वे नक्सलियों से दूरी बनाकर रखें। वे उन्हें आत्मसमर्पण के लिए कहें। इससे उनकी जान बच जाएगी। उन्हें दोबारा से मुख्य धारा में शामिल होने का मौका मिल सकता है।
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घने जंगलों के बीच रहने वाले नक्सलियों तक कोरोना वायरस पहुंच गया है। सुरक्षा बलों के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो सैंकड़ों की संख्या में नक्सली बीमार चल रहे हैं। भले ही अधिकारी इस बात को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करने में झिझक महसूस कर रहे हैं कि वे सब कोरोना संक्रमित हैं। अधिकांश की स्थिति गंभीर है। बीमार हुए अधिकांश नक्सलियों में कोरोना संक्रमण जैसे लक्षण बताए गए हैं। जिन नक्सलियों की हालत ज्यादा खराब हो रही है, उन्होंने पुलिस एवं सुरक्षा बलों के आगे आत्मसमर्पण करना शुरू कर दिया है। पिछले तीन चार दिनों में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में करीब आधा दर्जन नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। जांच के दौरान इन सभी नक्सलियों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सुरक्षा बलों ने अपने वादे के मुताबिक, संक्रमित नक्सलियों को 'प्राणवायु' यानी ऑक्सीजन देकर कोविड सेंटर में भेज दिया है।