रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल ने कहा है कि किसानों के कर्ज माफ करने से देश की राजकोषीय स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है। कृषि ऋण माफी का फैसला राजकोषीय घाटे को काबू में करने की दिशा में पिछले दो सालों में जो काम किया गया है, उसे बेकार कर देगा।
रिजर्व बैंक की द्विमासिक नीतिगत समीक्षा की घोषणा के अवसर पर उर्जित पटेल ने किसानों के कर्ज माफ करने पर देश की राजकोषीय स्थिति में गिरावट आने की आशंका को लेकर चिंता जताई। उनके मुताबिक, बड़े पैमाने पर कृषि ऋण माफी की घोषणाओं से राजकोषीय स्थिति बिगड़ने और मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बढ़ा है।
कई राज्यों में हो रही है कर्ज माफी की कवायद
गौरतलब है कि बीते दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा था कि उनकी सरकार 31 अक्तूबर से पहले के कृषि कर्जों को माफ करने के लिए शीघ्र ही घोषणा करेगी। इससे पांच एकड़ से कम जमीन वाले करीब 1.07 करोड़ किसानों को फायदा होगा। इससे पहले बीते अप्रैल में उत्तर प्रदेश सरकार ने करीब 36,000 करोड़ रुपये के कृषि ऋणों को माफ करने की घोषणा की थी। यदि महाराष्ट्र में भी किसानों का कर्ज माफ हो जाता है तो इससे राजकोष पर करीब 30,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। यही नहीं, बीते एक जून से मध्य प्रदेश के किसान भी कर्ज माफी के लिए आंदोलनरत हैं।
पहली छमाही में मुद्रास्फीति दो से साढ़े तीन फीसदी
रिजर्व बैंक ने 2017-18 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 2 से 3.5 फीसदी और दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान लगाया है। अगले महीने से देश में लागू होने वाली (जीएसटी) प्रणाली से महंगाई के बढ़ने का खतरा नहीं है।
अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति कुछ जरूरतों को रेखांकित करती है
समीक्षा में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति निजी निवेश को पटरी पर लाने, बैंकिंग क्षेत्र की बेहतर स्थिति को बहाल करने तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने की जरूरत को रेखांकित करती है। मौद्रिक नीति तभी प्रभावी भूमिका निभा सकती है, जब ये चीजें दुरुस्त हों।