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आज का शब्द: भँवर और रामधारी सिंह दिनकर की कविता- धुँधली हुईं दिशाएँ, छाने लगा कुहासा

आज का शब्द
                
                                                                                 
                            

'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- भँवर, जिसका अर्थ है- भौंरा, नदी के बहाव में वह स्थान जहाँ पानी चक्कर लगाता है। प्रस्तुत है रामधारी सिंह दिनकर की कविता- धुँधली हुईं दिशाएं, छाने लगा कुहासा 



धुँधली हुईं दिशाएँ, छाने लगा कुहासा,
कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँ-सा।
कोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा है;
मुँह को छिपा तिमिर में क्यों तेज़ रो रहा है?
दाता, पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला दे;
बुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला दे।
प्यारे स्वदेश के हित अंगार माँगता हूँ।
चढ़ती जवानियों का शृंगार माँगता हूँ।

बेचैन हैं हवाएँ, सब ओर बेकली है,
कोई नहीं बताता, किश्ती किधर चली है?
मँधार है, भँवर है या पास है किनारा?
यह नाश आ रहा या सौभाग्य का सितारा?
आकाश पर अनल से लिख दे अदृष्ट मेरा,
भगवान, इस तरी को भरमा न दे अँधेरा।
तम-वेधिनी किरण का संधान माँगता हूँ।
ध्रुव की कठिन घड़ी में पहचान माँगता हूँ।

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5 months ago

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