रस्ते से जब हम गुजरे
तो देखा एक ये मंजर
लाखों गरीब बेबस
सड़कों पे सो रहे थे
ग़म भूल कर जहां के
सपनों में खो रहे थे
तब एक गरीब बालक
रोटी को मॉंगता था
क्या हाल मैं बताऊं
उसके...और पढ़ें
एक रोज़ आपसे किनारा कर के
हम भी देखेंगे फाकों में गुजारा कर के
जमीर जगेगा या आंखों को शर्म आयेगी
जब इबादत को जायेंगे आप तौबा कर के
ये तो सच है की हमने सारी उम्र कुछ न किया
आपने क्या हासिल किया हम जैस...और पढ़ें
हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है आशीष जिसका अर्थ है किसी के कल्याण और सफलता के लिए कामना करना; आशीर्वाद; मंगल कामना। कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने अपनी कविता में इस शब्द का प्रयोग किया है।
तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझ...और पढ़ें
वफा करते समय
कुछ भी याद नही रहा
मोहब्बत में भीगने का
मियाद नही रहा
खुशबू उड गई
तितली उड़ जाने के बाद
गुलशन का भौंरा
तब से आजाद नही रहा
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'...और पढ़ें
लौटकर सब आएँगे
सिर्फ़ वह नहीं
जो युवा था-
युवावस्था लौटकर नहीं आती।
अगर आया भी तो
वही नहीं होगा।
पके बाल, झुर्रियाँ,
ज़रा,
थकान
वह बूढ़ा हो चुका होगा।
रास्ते में
आदम...और पढ़ें
जल गया सब कुछ उसके पीछे
बचा न एक भी अंग
दीपशिखा ओ थी ही
बन बैठा मैं पतंग...और पढ़ें
यह दौर है रंजिश मुसीबत का
राहत का यहाँ कोई काम नही
मासूम की गर्दन कटनी 'उपदेश'
नाज़ शराफ़त का कोई नाम नही
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'...और पढ़ें
जज्बातों को देखूं तो तेरी याद
ख्वाबों को देखूं तो तेरी याद
हुस्न का सोचूं तो भूल जाऊं
आईने को देखूं तो तेरी याद
किताब को देखूं तो भूल जाऊं
कलम को देखूं तो तेरी याद
जख्मों को देखूं तो भ...और पढ़ें
जीवन की धूप में
मैं निरंतर चलती रही
बिना कोई शिकायत किए
शब्दों के बाण भी झेले
बिना कोई शिकवा किए
शारीरिक और मानसिक
प्रताड़ना भी सहती रही
बिना कुछ कहे
बहुत भीरू प्रवृत्ति है मेरी
चुप रहना...और पढ़ें
शहर जब भी उनका राह में आता है
कमबख्त सबसे पहले ख्वाब उनका आता है
उनकी खुशी के लिए हम शहर उनका छोड़ आए हैं
रकीब कहां जानता कितने हसीन पल हमने बिताए हैं
सोचा था न जाएं शहर और गांव उनका
मगर घर हमारा भी...और पढ़ें
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही
ज़ोफ़-ए-क़ुवा ने आमद-ए-पीरी की दी नवेद
वो दिल नहीं रहा वो तबीअ'त नहीं रही
सर में वो इंतिज़ार का सौदा नहीं रहा
दिल पर वो ध...और पढ़ें
एक अर्जुन छुपा हुआ है हमारे अंदर
एक वीर योद्धा छुपा हुआ है हमारे अंदर
शोक में है वह धनुर्धर
मोह में फंसा हुआ है वह धनुर्धर
युद्ध भूमि में आकर
कहता है वह,"अपनों को कैसे मारूं मैं?"
चाहिए हमें श्री कृष्ण जैसा स...और पढ़ें
दिल मिलाने का अब ख़याल भी नहीं आता,
आज-कल हाथ मिलाने में भी डर लगता है।
अजीब लगता है माहौल इस शहर का मुझे,
सलाम करता है जो भी बद-नज़र लगता है।
- डाॅ. कुँवर वीरेन्द्र विक्रम सिंह गौतम...और पढ़ें
ग़ालिब दुनिया में वो अकेला शायर है जो समझ में ना आया तो दुगना मज़ा देता है।
- मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी ...और पढ़ें
मिलता ग़ुरूर बेटे से, बेटी से शराफ़त,
बेटी की बदौलत कभी वहशत नहीं होती।
माना के बुढ़ापे का सहारा बना बेटा,
बेटी की तरह बेटे से ख़िदमत नहीं होती।
- डाॅ. कुँवर वीरेन्द्र विक्रम सिंह गौतम...और पढ़ें
उनकी यादों के साये थक कर सो गए मेरे सपने में
वहाँ मैं जाता था, धूप के सरोवर देखने अकेले में
उम्मीद के फूल खिलते थे वहाँ, विश्वास के दर्पणों में
उन्हें आसमाँ देखता, रोशनी के किस्से सुनाता इशारों में
दोपहर का...और पढ़ें
छोटी - छोटी असफलताएँ भी
सफलता का रास्ता बताती हैं
कुछ कर गुजरने की चाहत
जीवन को सार्थक बनाती हैं
चलना ही नाम जिंदगी
नित्य ही प्रवाह है
अद्भुत बड़ी यह जिंदगी
हर पल नया रंग ही पाती हैं
-हरिशंकर...और पढ़ें
मैं ! बुनकर मज़दूर
हुनर मेरा लूम चलाना।
मेरी कोई उम्र नहीं है...
मैं एक नन्हा बच्चा भी हो सकता हूँ
जहां मेरे नन्हे हाथों में किताब होनी चाहिए
वहां मैं हाथों से लूम चलाता हूँ
मैं एक जवान भी हो सकता हूँ
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एक तरफ मैं हूं एक तरफ तुम हो
जैसे एक खुशी और दूसरा गम हो
न जानें क्यों दूरियां है
कौनसी मजबूरियां हैं
बस इतना प्यार है
जैसे कोई अपना यार हैं
लगे उसे लगाले गले
लगे उसे अपना बनाले
कितनी जल्दी हो क...और पढ़ें
ज़ख़्म मिले भी तो दर्द भुलाने से मिले
शत्रु जो भी मिले जाने पहचाने से मिले
गरल पी लिया मैं ने चुपचाप सह करके
ताने जितने मिले सब जमानें से मिले।
- आनंद त्रिपाठी "आतुर...और पढ़ें