साहिर लुधियानवी नदी की उस धार की तरह हैं जिसके पानी में जो रंग मिलाया गया, उसने उसी रंग से धरती को सींच दिया। साहिर का कैनवास बहुत बड़ा था, उन्होंने हर तरह की घटनाओं, स्थितियों और संवेदनाओं पर गीत लिखे। गीतकार साहिर को ख़ूब प्रसिद्धी मिली और लोगों ने उनके गानों को सदियों तक गुनगुनाया। इसी बारे में आगे गीतकार जावेद अख़्तर कहते हैं कि साहिर लुधियानवी एक गीतकार के तौर पर जितने लोकप्रिय थे, उससे भी पहले वह एक शायर के तौर पर लोकप्रिय हो चुके थे।
दुनिया ने तजरबात ओ हवादिस की शक्ल में
जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं
और वास्तव में साहिर ने अपनी कलम के ज़रिए दुनिया को शब्दों में पिरोकर दुनिया को ही लौटा दिया। एक ऐसा शायर, एक ऐसा गीतकार जिसके बारे में कहा जाता है कि वह गीत लिखने के बाद कई दिनों तक उसके शब्दों पर काम करते थे, वह लाज़िम है कि सिनेमा के लिए बेहद ज़रूरी होगा।
इसलिए बी.आर. चोपड़ा ने अपने घर में एक हिस्सा अलग से साहिर के लिए रखा था। ताकि वह चाहें वहां आ सकें और लिख सकें। साहिर बी.आर. चोपड़ा के लिए कितने ज़रूरी थे इसका पता इस बात से लगता है कि उन्होंने कहा था कि, वह कमरा सिर्फ़ गीतों को लिखने के लिए नहीं है। साहिर जब भी कुछ लिखना चाहें और उन्हें किसी जगह की ज़रूरत हो, वह वहां आ सकते हैं।
आगे पढ़ें
6 months ago
कमेंट
कमेंट X