हम न उनके अपने हुये न अजनबी रहे
इस जिन्दगी के खेल भी निराले रहे
हम अपनो की तरह उन पर हक जताते रहे
वो गैर मानकर मेरी हरकत पर मुस्कुराते रहे
वो खुश थे हमसे जब तक हम बेगाने रहे
हुआ सितम मुझ पर जब हम उनके दीवाने हुये
अपनो की महफिल मै मुझे गैर बना डाला
नजरो से दूर चले जाने को भी कह डाला
उन्हे अपनी गलतियो का एहसास भी न हुआ
और मुझ पर बेवफा होंने का भी इल्जाम लगा डाला
- अभिषेक शुक्ला "सीतापुर"
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4 years ago
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