इश्क़ में गिरफ़्तार आशिक़ अपनी महबूबा की एक नज़र की तलाश में हमेशा रहता है, हालांकि ये आग दोनों तरफ लगी होती है। नज़र-नज़र में दोनों हाल-ए-दिल का पता लगाते रहते हैं। इन आशिक़ाना निगाहों को शायरों ने भी शायराना रंग दिया है। पेश है नज़रों पर 10 चुनिंदा शेर...
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का
- अरशद अली ख़ान क़लक़
दिल नज़र पर अगर नज़र रखते
प्यार का हादसा नहीं होता
- इब्न-ए-मुफ़्ती
मत मुस्कुराओ इतना कि फूलों को खबर लग जाए,
करें वो तुम्हारी ताऱीफ इतनी कि नज़र लग जाए
-अज्ञात
आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो
नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
- जाँ निसार अख़्तर
तुम्हारी सीधी नज़र ने तो कोई बात न की
तुम्हारी तिरछी नज़र का सवाल अच्छा था !
-अज्ञात
अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उन की नज़र पूछते चलो
- साहिर लुधियानवी
जिस तरफ़ उठ गई हैं आहें हैं
चश्म-ए-बद-दूर क्या निगाहें हैं
- अकबर इलाहाबादी
ऐ शाहिद-ए-जमाल कोई शक्ल है की हो
तेरी नज़र से तेरा नज़ारा कभी कभी
- असर लखनवी
उस नज़र की एक जुम्बिश पर 'नज़ीर'
काएनात-ए-इश्क़ लहराने लगी
-नज़ीर बनारसी
दिलों का ज़िक्र ही क्या है मिलें मिलें न मिलें
नज़र मिलाओ नज़र से नज़र की बात करो
- सूफ़ी तबस्सुम
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4 years ago
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