कलकत्ता की मशहूर गायिका गौहर जान एक मर्तबा इलाहाबाद गई और जानकी-बाई तवाइफ़ के मकान पर ठहरी शायद 1910 की बात है। गौहर की माँ नवाब वाजिद अली शाह के यहां दरबारी नृत्यांगना थी और पिता आर्मेनिया के थे।टप्पा कजरी ठुमरी झूला संगीत की हर विधा में उनका दखल था।शायद आधुनिक युग की पहली स्टार गायिका थी जिनके बहुत भाषाओं में रिकॉर्ड निकाले गए थे।
अब जब गौहर जान रुख़्सत होने लगी तो अपनी मेज़बान से कहा कि “मेरा दिल ख़ान बहादुर सय्यद अकबर इलाहाबादी से मिलने को बहुत चाहता है।” जानकी-बाई ने कहा कि “आज मैं वक़्त मुक़र्रर करलूंगी, कल चलेंगे।” चुनांचे दूसरे दिन दोनों अकबर इलाहाबादी के हाँ पहुँचीं। जानकी-बाई ने तआ’रुफ़ कराया और कहा ये कलकत्ता की निहायत मशहूर-ओ-मा’रूफ़ गायिका गौहर जान हैं। आपसे मिलने का बेहद इश्तियाक़ था, लिहाज़ा इनको आपसे मिलाने लायी हूँ।
अकबर ने कहा, “ज़ह-ए-नसीब, वर्ना मैं न नबी हूँ न इमाम, न ग़ौस, न क़ुतुब और न कोई वली जो क़ाबिल-ए-ज़यारत ख़्याल किया जाऊं। पहले जज था अब रिटायर हो कर सिर्फ अकबर रह गया हूँ। हैरान हूँ कि आपकी ख़िदमत में क्या तोहफ़ा पेश करूँ। ख़ैर एक शे’र बतौर यादगार लिखे देता हूँ।” ये कह कर मुंदरजा ज़ैल शे’र एक काग़ज़ पर लिखा और गौहर जान के हवाले किया।
ख़ुशनसीब आज भला कौन है गौहर के सिवा
सब कुछ अल्लाह ने दे रखा है शौहर के सिवा
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9 महीने पहले
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