तनाव और विनाश के इस दौर में आज हर आदमी अपने आपको अकेला महसूस कर रहा है| घर परिवार के सदस्यों के साथ रहते हुए भी उसे अपने अकेलेपन का एहसास धीरे धीरे होते जा रहा है | खैर ऐसे माहौल के बीच में आदमी सकारात्मक रहते हुए हिम्मत और साहस से काम ले तो उसे इस अकेलेपन से भी कुछ कर गुजरने की सीख मिल सकती है | ध्यान और अध्यात्म साधना उसके अंदर असीम ऊर्जा और उत्साह का संचार कर सकती है | और व्यक्ति संकट के इस पल को भी अपने लिए एक अवसर बना सकता है |
मुकेश अपने दर्द भरे नग्मों के लिए जाने जाते हैं
बॉलीवुड में १९६८ में प्रसारित फिल्म सम्बन्ध का गीत चल अकेला चल अकेला ऐसे समय में आदमी को ढेर सारा साहस दे सकता है| प्रदीप के लिखे इस गीत को अजर अमर गायक मुकेश ने अपनी आवाज़ दी है जबकि संगीत से सजाया है ओमप्रकाश नैय्यर साहब ने| मुकेश अपने दर्द भरे नग्मों के लिए जाने जाते हैं | मुकेश का यह गीत आदमी को उसके अकेलेपन का मतलब बड़ी गहराई से समझा रहा है |
कुछ कर गुजरने की तमन्ना दिल में हिलोरे...
बचपन में अपने अल्हड स्वभाव की वजह से जब कभी माँ बाप की उलाहना मन को मिलती थी तो इस गीत को सुनने के बाद दिल और मचल जाता था और कुछ कर गुजरने की तमन्ना दिल में हिलोरे भरने लगती थी | जीवन के नाज़ुक दौर में इस गीत ने मुझे काफी साहस और सम्बल दिया है | इसलिए इस गीत का मुरीद हो गया |
मेहनत करता हुआ जीवन में आगे बढ़ता चल
गीत सीधे सीधे साफ शब्दों में कहता है की जीवन की पथरीली राह तुझे अकेले ही चलना है | क्यूंकि तेरे साथ जरूर सब लोग हैं पर तू आखिरकार अकेला ही है | अगर कोई तेरे स्वभाव की वजह से तेरा साथ नहीं देता है तो तू इससे घबरा मत बल्कि अपने आप से प्यार करने लग और मेहनत करता हुआ जीवन में आगे बढ़ता चल | तेरे चलते रहने में ही तेरे जीवन का सम्मान है , रुकने पर तेरी माँ भी तेरा साथ छोड़ सकती है |
तूने जीवन का पूरा खेल अभी खेला ही नहीं है
गीत और गहराई में उतरते हुए कह रहा है कि तू अपना बिछौना इस धरती को समझ ले और आसमान को अपना साया मान ले, जब आदमी इतना समझ लेगा फिर उसके जीवन में भय ख़तम ही हो जायेगा| गीत के अनुसार साथी जीवन के इस चक्र में सुख दुःख तो लगा ही रहता है तू इसे जीवन की रीत समझ और सब सहते हुए आगे बढ़ता चल, कोशिश करते हुए अपने पथ को अपने ही उजाले से प्रकाशित करता रह, थोड़ी सी बात पर घबरा मत क्यूंकि तूने जीवन का पूरा खेल अभी खेला ही नहीं है
वो अकेले और एकांत में ही खिलते हैं...
उम्र के छोटे पड़ाव में मिलने वाली ठोकरे और तनाव से अपनी सोच और ख्वाब को तहस नहस मत होने दे और कोशिश करता चल न जाने समय के किस चक्र में तुझे जीवन के अकेलेपन का आनंद मिलने लग जाये | वैसे भी कहा गया है कि जीवन में मानवता के जितने भी सर्वश्रेष्ठ फूल खिलते है वो अकेले और एकांत में ही खिलते हैं|
अकेलेपन का असीम आनंद अपने आप मिलने लगेगा...
गीत में यह भी कहा गया है कि जीवन में कितनी भी मेहनत कर लो और कितनी भी सफलता हासिल कर लो पर आपकी जिंदगी में एक खालीपन हमेशा बना रहेगा| इसलिए रुक कर कभी ये मत सोच कि अब बहुत कुछ हासिल हो गया है| बस चला चल अपनी चाल चलता चल क्यूंकि तेरा मेला भी तेरे साथ नहीं चल रहा है, वो तो तेरे पीछे छूटता जा रहा है| मतलब ये है कि तू अपने किये का भी मालिक कभी नहीं बन सकता तेरे हाथ से हर चीज़ छूट जानी है|इस जीवन में, सो जीवन के इस इशारे को समझ, जिस दिन ये इशारा समझ आने लगेगा उस दिन से ही तेरे जीवन का तनाव और भय ख़तम होने लगेगा और तुझे जीवन के अकेलेपन का असीम आनंद अपने आप मिलने लगेगा | मुकेश के इस दर्द भरे नग्मे का सार शायद यही है|
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3 weeks ago
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