शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब
उसमें फिर मिलायी जाये, थोड़ी सी शराब
होगा यूं नशा जो तैयार, वो प्यार है
हंसता हुआ बचपन वो, बहका हुआ मौसम है
छेड़ो तो इक शोला है, छूलो तो बस शबनम है
गांव में, मेले में, रा...और पढ़ें
जब मन कुछ ऐसा सुनने को करता है, जो दिल को छुए। तो ऐसे में याद आते हैं आनंद बख्शी के गीत। जी हां! अंग्रेजों के जमाने में फौज की नौकरी करने वाले आनंद बक्शी तब की बंबई आए तो थे गायक बनने लेकिन उनके गाने हिंदुस्तानियों के हर हौसले की मिसाल बन चुके हैं। ग...और पढ़ें
हमने सुना था एक है भारत, सब मुल्कों से नेक है भारत
लेकिन जब नजदीक से देखा सोच समझ कर ठीक से देखा
ये गीत 1959 में बनी फिल्म 'दीदी' का है। यह वह दौर था जब हमारा देश आजाद होने के बाद एक आकार ले रहा था लेकिन विभाजन के दर्द...और पढ़ें
सृजनकर्ताओं पर बात करते हुए अक्सर लोग उनके जन्म, मरण और स्थान का वर्णन ज़रूर करते हैं लेकिन सृजन अपनी मूल अवस्था में किसी सीमा के भीतर नहीं बल्कि सीमाओं से परे होना है। सृजन और सृजनकर्ता रूप, रंग, जाति, धर्म और सरहदों के अधीन नहीं बल्कि उन्मुक्त रूप...और पढ़ें
गीतकार संतोष आनंद ने हिंदी सिनेमा को 'एक प्यार का नग़्मा है' जैसे सुपरहिट गीत दिए हैं। साथ ही वर्ष 1974 में फिल्म रोटी, कपड़ा और मकान के लिए कई गीत लिखे थे। इस फिल्म के गीत 'मैं ना भूलूंगा' के लिए इन्हें अपने करियर का पहला फिल्म फेयर...और पढ़ें
संग बसंती, अंग बसंती, रंग बसंती छा गया
मस्ताना मौसम आ गया
संग बसंती, अंग बसंती...
1965 में आई ‘राजा और रंक’ फिल्म के इस गीत को लिखा था आनंद बख़्शी ने, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी के सजे संगीत को आवाज दी थी लता मंगेशकरऔर पढ़ें
न तड़पने की इज़ाज़त है ना फ़रियाद की है, घुट के मर जाऊँ ये मर्ज़ी मेरी सय्याद की है। कुछ ऐसा हाल होता है जब आपके पास कोई आपका दर्द बांटने वाला न हो, यूं कहें कि दर्द बांटने वाला ही आपका दर्द बन जाए। जब दर्द बढ़ता जाता है, तब दिल और दिमाग से एक ही बात...और पढ़ें
1954 में आई फ़िल्म 'मिर्ज़ा ग़ालिब' में सुरैया और तलत महमूद ने मिर्ज़ा ग़ालिब की इस गजल को अपनी आवाज़ से सजाया था। इस फ़िल्म में उस जमाने के मशहूर अभिनेता भारत भूषण ने मिर्ज़ा ग़ालिब का किरदार निभाया था और फिल्म की अभिनेत्री थीं सुरैया। इस फ़िल्म...और पढ़ें
इस दुनिया में हर ग़म की दवा देर सवेर मिल ही जाती है। लेकिन आशिक को लगता है कि उसके ग़म की कोई दवा नहीं है और यह है ग़मे मोहब्बत। वक़्त भले ही इस दर्द पर मरहम लगा दे। लेकिन कुछ आशिक़ों को ग़मे मोहब्बत की टीस ज़िंदगी भी सालती रहती है।
प...और पढ़ें
हम सभी को पहला प्यार और पहले प्यार की पहली मुलाक़ात हमेशा याद रहती है। ऐसी मुलाक़ात जब हम किसी ऐसे शख़्स से मिलने के लिए बेताब होते हैं, जो हमारी ज़िंदगी में बेहद ख़ास जगह रखता हो। हर दिन मिलने के दिन गिनते रहते हैं। अपनी दिलकश आवाज़ से कानों में रस...और पढ़ें