कुछ रसों का अनुपम संग्रह
कुछ शब्द , कुछ पंक्तियाँ क्रमशः
कुछ अल्फाज,कुछ भावों का संग्रह
कविता बन जाती है।
कुछ प्यारी-प्यारी बातें
कुछ प्यारी-प्यारी यादें
कुछ प्यारी सी मुस्कान
कुछ पलों की दास्त...और पढ़ें
दिल्ली अब महज़ एक शहर नहीं रह गया है। बरतानिया राज के ख़ात्मे के बाद से नई सल्तनतों में तकसीम होता रहा, शिखर राजनीति के रजवाड़ों में धंसा रोज़ चेहरे बदलता, एक अफ़लातून महानगर है। उसमें विभाजन के बाद से गंवई-शहरी अनेक दिल्लियां और ज़ुबानें आन बसी हैं।...और पढ़ें
स्वामी हरिदास कृष्ण के अनन्य भक्त थे और साथ ही सखी संप्रदाय के प्रवर्तक भी थे। स्वामी हरिदास ने न सिर्फ़ काव्य को रचा बल्कि वह एक महान संगीतज्ञ भी थे। 25 वर्ष की आयु में ही वह वृन्दावन आकर बस गए थे और इसी जगह को उन्होंने अपनी भक्ति के लिए उचित स्थान...और पढ़ें
अगर कोई व्यक्ति आपके शहर या देश का ना भी हो लेकिन अगर वह आपकी भाषा बोल रहा हो तो उससे वही अपनापन महसूस होगा जो अपने प्रदेश के किसी व्यक्ति से महसूस होता है। इस प्रकार भाषा भूगोल की सभी सीमाओं को मिटाते हुए अपनाईयत के रिश्ते स्थापित करती है। रीतिका...और पढ़ें
प्रभु जी मेरे अवगुन चित्त न धरौ
इक लोहा पूजा में राखत इक घर बधिक परौ।
पारस भेदभाव नहिं मानत कंचन करत खरौ।
ईश्वर के समक्ष अपनी भावनाओं को प्रकट करने के लिए भक्त अक्सर सूरदास के इन पदों को गाते हैं। वही सूरदास जो कृष्ण के अ...और पढ़ें
प्रेम-अयनि श्रीराधिका, प्रेम-बरन नँदनंद।
प्रेमवाटिका के दोऊ, माली मालिन द्वंद्व
रसखान के इस छंद को यदि किसी कृष्णभक्त को सुनाया जाए तो वह जय हो के उद्गार के साथ रसख़ान के प्रति समर्पण से भर जाएगा, उस पर भी जब उसका संबंध बृज क्षे...और पढ़ें
बहू बेगम, ताजमहल, चौदहवीं का चाँद, साहब बीबी और गुलाम, दिल दौलत दुनिया, अली बाबा चालीस चोर और सइयां मगन पहलवानी मा जैसी फिल्मों के संवाद लेखक/निर्देशक ताबिश सुल्तानपुरी का जन्म 20 मई 1927 ई. को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जनपद के तियरी गाँव में हुआ था...और पढ़ें
गीत ऋषि श्रद्धेय नीरज जी का संसार से विदा लेना हिंदी जगत को कभी न भरी जा सकने वाली रिक्तता दे गया । वह स्वयं में गीतों का एक युग थे । उनका महाप्रयाण गीत युग का अवसान प्रतीत हो रहा है । उन जैसा गीतकार न तो हुआ और न होने की संभावना है ।
अपने बच...और पढ़ें
मज़लूमों के शायर कैफ़ी आज़मी ने एकबार कहा था कि "मैं ग़ुलाम हिन्दुस्तान में पैदा हुआ,आज़ाद हिन्दुस्तान में बूढ़ा हुआ और सोशलिस्ट हिन्दुस्तान में मर जाऊंगा।" यह बात अलग है कि उर्दू शायरी की तरक़्क़ीपसंद धारा की सबसे मज़बूत आवाज़ कैफ़ी साहब बहुत ही सशक्...और पढ़ें
लगती है धूप, क्योंकर परछाई दूर से।
होती है जुदा, शै की शनाशाई दूर से।।
अंदाजा उम्र भर न लगा, उनको दरिया का।
जो लोग देखते रहे, गहराई दूर से।।
तमाशे के हुनर और, काबिलियत को तय।
मुद्दत से करते आये, तमाश...और पढ़ें