आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

कवि प्रदीप: हमने जग की अजब तस्वीर देखी, एक हँसता है दस रोते हैं

कविता
                
                                                         
                            हमने जग की अजब तस्वीर देखी
                                                                 
                            
एक हँसता है दस रोते हैं
ये प्रभु की अद्भुत जागीर देखी
एक हँसता है दस रोते हैं

हमे हँसते मुखड़े चार मिले
दुखियारे चेहरे हज़ार मिले
यहाँ सुख से सौ गुनी पीड़ देखी
एक हँसता है दस रोते हैं
हमने जग की अजब तस्वीर देखी
एक हँसता है दस रोते हैं

दो एक सुखी यहाँ लाखों में
आंसू है करोड़ों आँखों में
हमने गिन गिन हर तकदीर देखी
एक हँसता है दस रोते हैं
हमने जग की अजब तस्वीर देखी
एक हँसता है दस रोते हैं आगे पढ़ें

7 महीने पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
X
Jobs

सभी नौकरियों के बारे में जानने के लिए अभी डाउनलोड करें अमर उजाला ऐप

Download App Now