ईश्वरदत्त अंजुम उर्दू शायरी में एक जाना पहचाना नाम है। बंटवारे के बाद पंजाब में जिन शायरों ने उर्दू शायरी को संवारा उसमें अंजुम भी शामिल थे। हाल ही में उनका कुल्लियात 'कुल्लियात-ए-अंजुम' नाम से प्रकाशित हुआ है। अंजुम मशहूर शायर राजेन्द्र नाथ रहबर के बड़े भाई हैं जिनकी नज़्म 'तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त' को दुनिया भर में बेपनाह शोहरत मिली है। इस कुल्लियात में अंजुम का कुल कलाम प्रकाशित किया गया है।
इससे पहले भी उनकी 'भीगीं पलकें' नाम से एक ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित होकर मशहूर हो चुका है। उन्होंने ज़िन्दगी के हर पहलू को अपनी शायरी में बख़ूबी बयान किया है। अंजुम की शायरी पर मशहूर शायरों और आलोचकों ने अपनी राय रखी है और उनके कलाम की तारीफ़ की है।
मारूफ़ शायर और आलोचक शबाब ललित ने ईश्वरदत्त अंजुम को 'जागती आंखों और खुले ज़हन का शायर तस्लीम किया था'। अंजुम के कुल्लियात का संपादन राजेन्द्र नाथ रहबर के ही शागिर्द अभिषेक कुमार अम्बर ने किया है। अभिषेक के भी बहुत से साझा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। 'सौग़ात महब्बत की' नाम से इनका ग़ज़ल संग्रह शीघ्र प्रकाशित होने वाला है। अभिषेक ने बताया कि इन दिनों वह रहबर के नज़्म संग्रह 'रहबर की अलबेली नज़्में' और पठानकोट के ही शायर डॉ. रवि ज़िया के कुल्लियात का संपादन कर रहे हैं। 'कुल्लियात-ए-अंजुम' अमेज़ॉन किंडल के साथ साथ गूगल बुक्स पर भी पढ़ा जा सकता है।
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1 year ago