ना मैं बदला हूँ,ना आदतें बदली हैं
बस वक़्त बदला है और तुम नजरिया बदल लो
बहुत आसान होता है कोई उदाहरण पेश करना लेकिन..
बहुत कठिन होता है खुद कोई उदाहरण बनना.।
अगर मुसीबतें है तो मुस्कुरा के चल,
आँधियों को पैरों तले दबा के चल,
मंजिलों की औक़ात नही तुझसे दूर रहने की,
विश्वास इस क़दर खुद में जगा के चल!!
जिन्दगी में ये हुनर भी...
आजमाना चाहिए...
अपनों से हो जंग तो...
हार जाना चाहिए...
चलो अच्छा हुआ कि शाम ही तन्हा गुज़री
मिल के बिछड़ते तो रात कटनी मुश्किल होती
मत पूछ कि मेरा कारोबार क्या है
महोब्बत की छोटी सी दुकान है नफ़रत के बाजार में
काग़ज़ पे तो अदालतें चलती है..
हमने तो तेरी आँखों के फैसले मंजूर किए।
(ये शायरी सोशल मीडिया की दुनिया में लोकप्रिय है। अगर आपको लेखक का नाम मालूम हो तो ज़रूर बताएं। शायरी के साथ शायर का नाम लिखने में हमें ख़ुशी होगी।)
4 वर्ष पहले
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