रास्ते पर पाँव के निशान की तरह छूटना
और आँख में अधूरी नींद की तरह
किसी के दिल में छूटने के लिए
मत तलाशना कोई उपमा
वहाँ जैसे हो वैसे ही छूट जाना
छूटना किसी के हाथ से तलवार की तरह
तो किसी के हाथ से शराब के प्याले सा
अंधे की लाठी जैसे छूटती है हाथों से
वैसे न छूटना कभी
चाहे पड़े रहना प्रतीक्षा में बसंत की
और मौसम उदास बैठा रहे अनमने कबूतर सा मन की मुंडेर पर
छूटना युद्ध की घोषणा के बीच शांति के खेमे में
हत्या की योजना में किसी दुविधा की तरह
दंगों में छूटना ऐसे जैसे लड़ते हुए आदमी को हँसी छूटती है
और सिर फूटने से पहले कहकहे फूट पड़ते हैं
अंधे समय में जब सब दौड़ रहे हों जीतने के लिए
तुम न हारने के लिए छूट जाना प्रतियोगिता की पांत से बाहर
ईश्वर का अर्थ बताने लगें जब राजनेता
तुम किसी बच्चे की जेब में खोटे सिक्के की तरह पड़े रहना
और छूट जाना धर्म योद्धाओं की गिनती से बाहर
तुम कभी मत छूटना कमान से तीर की तरह
बंदूक से गोली की तरह
तानाशाह की बोली की तरह
तुम छूटना तो इस तरह छूटना
जैसे छूटते है बच्चे स्कूलों से
नदी पहाड़ों से
और आत्मा देह से
अनुराग अनंत की फेसबुक वाल से साभार
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एक महीने पहले
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