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अली सरदार जाफ़री की ग़ज़ल- मैं और मेरी तन्हाई

अली सरदार ज़ाफरी
                
                                                                                 
                            आवारा हैं गलियों में मैं और मेरी तन्हाई
                                                                                                

जाएँ तो कहाँ जाएँ हर मोड़ पे रुसवाई

ये फूल से चहरे हैं हँसते हुए गुलदस्ते
कोई भी नहीं अपना बेगाने हैं सब रास्ते
राहें हैं तमाशाई रही भी तमाशाई

मैं और मेरी तन्हाई  आगे पढ़ें

1 month ago

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😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
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