दीपावली उम्मीद का उत्सव है। सबके जीवन में उजाले की उम्मीद। ऐसा शायद ही कोई शायर होगा जिसने चराग़-या रौशनी पर दो-चार शेर न कहें हों। पेश है दिवाली पर शायरों के कलाम-
हस्ती का नज़ारा क्या कहिए मरता है कोई जीता है कोई
जैसे कि दिवाली हो कि दिया जलता जाए बुझता जाए
- नुशूर वाहिदी
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
- फ़रहत एहसास
जो सुनते हैं कि तिरे शहर में दसहरा है
हम अपने घर में दिवाली सजाने लगते हैं
- जमुना प्रसाद राही
वो उजाला है हम उजाले को
दिल-ए-तारीक में छुपा लेंगे
- अशरफ़ नक़वी
अजब बहार का है दिन बना दिवाली का
जहाँ में यारों अजब तरह का है ये त्यौहार
- नज़ीर अकबराबादी
सुना ये तू ने नहीं माजरा दिवाली का
जहाँ में ये जो दीवाली की सैर होती है
- नज़ीर अकबराबादी
जैसे दीवाली की शब हल्की हवा के सामने
गाँव की नीची मुंडेरों पर चराग़ों की क़तार
- एहसान दानिश
खिड़कियों से झाँकती है रौशनी
बत्तियाँ जलती हैं घर घर रात में
- मोहम्मद अल्वी
नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही
ये खिड़की खोलो ज़रा सुब्ह की हवा ही लगे
- बशीर बद्र
कई इतिहास को एक साथ दोहराती है दीवाली
मोहब्बत पर विजय के फूल बरसाती है दीवाली
- नज़ीर बनारसी
घर की मुंडेरों तक बरपा है दीवाली का सारा जश्न
कैसे हो अंदर भी चराग़ाँ मैं भी सोचूँ तू भी सोच
- असरारुल हक़ असरार
दिवाली ईद में अक्सर खिलौने बेचता है अब
ये वो बच्चा है जिस ने अपनी ख़्वाहिश को दबा रक्खा
- संजीव आर्या
बीस बरस से इक तारे पर मन की जोत जगाता हूँ
दीवाली की रात को तू भी कोई दिया जलाया कर
- माजिद-अल-बाक़री
निगाहों का मुक़द्दर आ के चमकाती है दीवाली
पहन कर दीप-माला नाज़ फ़रमाती है दीवाली
- नज़ीर बनारसी
घुट गया अँधेरे का आज दम अकेले में
हर नज़र टहलती है रौशनी के मेले में
- नज़ीर बनारसी
दीप जलते हैं दिलों में कि चिता जलती है
अब की दीवाली में देखेंगे कि क्या होता है
- मख़दूम मुहिउद्दीन
घुट गया अँधेरे का आज दम अकेले में
हर नज़र टहलती है रौशनी के मेले में
- नज़ीर बनारसी
अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
- अहमद फ़राज़
अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है
मगर चराग़ ने लौ को संभाल रक्खा है
- अहमद फ़राज़
घर से बाहर नहीं निकला जाता
रौशनी याद दिलाती है तिरी
- फ़ुज़ैल जाफ़री
तीरगी का दश्त नापा रौशनी के वास्ते
रौशनी फैली तो मुझ को रौशनी चुभने लगी
- सौरभ शेखर
हर तरफ़ रौशनियाँ रौशनियाँ रौशनियाँ
ज़िंदगी पहले कभी ऐसी दिल-आवेज़ न थी
- ज़ाहिद डार
चारों तरफ होगा ख़ुशियों का नज़ारा
सजेगा हर आंगन दीपक का उजाला
-अज्ञात
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4 वर्ष पहले
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