आप अपनी कविता सिर्फ अमर उजाला एप के माध्यम से ही भेज सकते हैं

बेहतर अनुभव के लिए एप का उपयोग करें

विज्ञापन

आज का शब्द: देवी और नरेंद्र शर्मा की कविता- छंदों की छम छम छागल

आज का शब्द
                
                                                         
                            

'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- देवी, जिसका अर्थ है- श्रेष्ठ गुणों वाली स्त्री, स्त्रियों के लिए एक आदरसूचक शब्द। प्रस्तुत है नरेंद्ऱ शर्मा की कविता- छंदों की छम छम छागल

वर्णों की क्वणित किंकणी
छंदों की छम छम छागल
धारण कर, कविता मेरी,
तुम नाचो कर मन पागल!

अधरों पर ललित गीति बन,
प्राणों में ज्वलित प्रीति बन,
नाचो नस नस, निर्झरिणी,
बन सुधा, सुरा, हलाहल!

ओ मुग्ध हृदय की देवी!
लय और प्रलय की देवी!
नाचो तुम जन्म-मरण में
बन बन कर परिणति का फल!

6 महीने पहले

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
विज्ञापन
X
बेहतर अनुभव के लिए
4.3
ब्राउज़र में ही
X
Jobs

सभी नौकरियों के बारे में जानने के लिए अभी डाउनलोड करें अमर उजाला ऐप

Download App Now