किसी की मोहब्बत में भी तुम क्या कुर्बान हो सकोगे
जब अपने का लाड़ ना समझा
मोहबत को आँसू बहाते रहे कभी माँ बाप का प्यार ना समझा
कैसे इंसान हुए तुम एक झूठे के लिए मर गए
तेरा झूठा खाने वाले का प्यार ना समझा
वो तेरे लिए सूखी ज़मीन पे बारिश सा बरस गया
तू फिर भी उसका उपकार ना समझा
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3 years ago
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