इस वर्ष प्रकाशित कथा साहित्य पर बात करना जरूरी है। इस साल भी कई महत्वपूर्ण किताबें आई हैं जिन्होंने पाठकों को इस निराशा की घड़ी में भी मन को शीतलता अवश्य पहुंचाई होगी।
कुछ प्रमुख कहानी संग्रहों की बात करते हैं जो इनदिनों पाठकों के रीडिंग टेबल पर हैं।
सुप्रसिद्ध वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया का कहानी संग्रह ‘दो गज की दूरी’ कोरोना काल की त्रासदी को केंद्र में रख कर लिखा गया है। लंबे समय के बाद वरिष्ठ रचनाकार हैं महावीर राजी का कहानी संग्रह ‘ऑपरेशन ब्लैकहोल’ भी इसी वर्ष प्रकाशित हुई है। इस संग्रह की कहानियों में बाज़ार और ब्रांड्स का विरोध के साथ-साथ मीडिया, दलित, बंधुआ मजदूरी और सर्व शिक्षा जैसे अभियानों पर करारी चोट है। ‘लेकिन वह फाइल बंद हो चुकी है’ वरिष्ठ कथाकार सुभाष पंत का नया कहानी संग्रह है। कथाकार जयशंकर का संग्रह 'सर्दियों का नीला आकाश' की कहानियों के माध्यम से वर्तमान के माध्यम से बीते समय को देखने की कोशिश की गई है।
अन्य कथाकारों की बात करें तो शैलेंद्र सागर का ‘विलोपन’, आनन्द हर्षुल का ‘चिड़िया बहनों का भाई’, मनोज रूपड़ा का ‘दहन’ प्रमुख है।
वहीं युवा कथाकारों में मिथिलेश प्रियदर्शी का ‘लोहे का बक्सा और बन्दूक’, मोहम्मद आरिफ का ‘चूक’, रविन्द्र आरोही का ‘जादू एक हँसी एक हीरोइन’, सिनीवाली का संग्रह ‘गुलाबी नदी की मछलियाँ’, रश्मि शर्मा का ‘बन्द कोठरी का दरवाजा’, नितिन का ‘ऑक्सीयाना और अन्य कहानियां’ आदि हैं। इन संग्रहों में युवा लेखन की ताजगी देखी जा सकती है। और भी किताबें हैं जिनपर जल्द ही प्रकाश डाला जाएगा।
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3 months ago
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