अधूरी है अधरों की प्यास
पी मिलन की आस।
आखिर कब आओगे।
बीत चुका है अँधड़ों का उत्पात
शुरू हो चुकी है सावन की रिमझिम बरसात
आखिर कब ------ ।
पी बसत हो दूर-सुदूर
तुम बिन सूना मांग का सिंदूर
आखिर कब ------ ।
अधूरी हैं बातें ,अधूरी रातें
अधूरी ही रह गई मिलन की दो चार मुलाकातें
आखिर कब ------ ।
पिया भेजो हो पैगाम
मैं तो सीमा का जवान।
आखिर कब ------ ।
भूला मैं परिवार,माँ-बाप भगवान
प्रेयसी के आलिंगन में समाया जहान।
आखिर कब ------ ।
वतन का मैं पूत, इसकी रक्षा का जिम्मा उठाया है
मंगलसूत्र, सिंदूर, टीका सब इसी की मांग में सजाया हैं।
आखिर कब ------ ।
तुम हो मेरे बिन, घर की फौलाद
न करो मनुहार, बार-बार फरियाद
आखिर कब ------ ।
नजाकत भरी अदाओं से लुभाया न करो
कठिन डगर में लक्ष्य से भटकाया न करो।
आखिर कब ------ ।
न कोई चिट्ठी,न कोई संदेश
दुर्लभ क्षेत्र में मिला माँ की रक्षा का आदेश।
आखिर कब ------ ।
तिरंगे में लिपटे, पिया का जी भर के कर लो दीदार
खत्म हुआ पी मिलन का लंबा इंतजार।
आखिर कब ------ ।
अर्चना कोचर
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1 year ago
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