न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: अलका त्यागी
Updated Thu, 11 Mar 2021 11:21 AM IST
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उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने 2022 के विधानसभा चुनाव सबसे बड़ी चुनौती है। चुनाव के लिए उनके पास बहुत अधिक समय नहीं है। बमुश्किल आठ-नौ महीनों में उन्हें सबको साथ लेकर चलना है। नौकरशाही को साधना है और भाजपा के चुनावी एजेंडे को धरातल पर उतारना है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर पिछले चार सालों में विकास का जो एजेंडा सेट किया, उसे लागू करने के लिए उनके पास साल नहीं केवल महीने हैं। ये सारे काम वह यदि कर पाते हैं तो यह किसी करिश्मे से कम नहीं होंगे। अमर उजाला ने उन चुनौतियों की पड़ताल की जो तीरथ सिंह रावत के नेतृत्व कौशल की परीक्षा लेंगे।
1. नए मंत्रिमंडल का गठन : मुख्यमंत्री के सामने मंत्रिमंडल बनाने की सबसे बड़ी चुनौती है। कई वरिष्ठ विधायकों के अरमान मंत्री बनने को मचल रहे हैं। मंत्रिमंडल से जिस भी विधायक का पत्ता कटेगा, उसकी नाराजगी सामने आ सकती है। यह तीरथ का कौशल होगा कि वे ऐसी नाराजगियों से कैसे पार पाते हैं।
2. नौकरशाही को साधना होगा : मुख्यमंत्री के सामने दूसरी बड़ी चुनौती नौकरशाही को साधने की होगी। भाजपा के कई विधायक ये शिकवा करते आए हैं कि प्रदेश में नौकरशाही मनमानी करती हैं। नौकरशाही की मनमानी को लेकर मंत्री और सचिवों के बीच विवाद सतह पर आते रहे हैं। ऐसे में तीरथ पर नौकरशाही और विधायिका के संबंधों में संतुलन बनाने का दबाव रहेगा।
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3. संगठन और सरकार में संतुलन : तीसरी बड़ी चुनौती संगठन और सरकार के बीच संतुलन बनाने की है। अभी संगठन के स्तर पर सरकार को लेकर कई शिकायतें हैं। कई वरिष्ठ नेताओं की यह शिकायत है कि उनकी सरकार में अफसरशाही नहीं सुनती है। तीरथ को सरकारी तंत्र में ऐसे मोहरे फिट करने होंगे कि संगठन के कार्यों में कोई बाधा न आए। चुनावी साल होने के कारण संगठन का सरकार पर दबाव बढ़ना स्वाभाविक है।
4. कुंभ मेले का सफल आयोजन : चौथी बड़ी चुनौती कुंभ मेले के सफल आयोजन की है। कोरोनाकाल में कुंभ के आयोजन को लेकर केंद्र और राज्य सरकार ने हालांकि, दिशा-निर्देश पहले जारी कर दिए हैं लेकिन व्यवस्थाओं को लेकर उन्हें सरकारी तंत्र पर लगातार दबाव बनाना होगा।
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5. गैरसैंण मंडल पर फैसला : मुख्यमंत्री के तौर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को मंडल बनाने की घोषणा की है। इस घोषणा पर कुमाऊं खासतौर पर अल्मोड़ा जिले में विरोध है। सांसद अजय भट्ट, अजय टम्टा और पार्टी के कई नेता घोषणा को पलटने के संकेत दे रहे हैं।
6. उपचुनाव की चुनौती : मुख्यमंत्री बनने के बाद अब उन्हें विधानसभा का उपचुनाव भी लड़ना होगा। वर्तमान में वह सांसद हैं। इसलिए उपचुनाव के लिए उन्हें एक ऐसी सीट खोजनी होगी, जहां से वह बगैर किसी मुश्किल के चुनाव जीत जाएं।
7. कोरोनाकाल से राज्य को उभारना : कुछ राज्यों में कोविड-19 महामारी ने वापसी की है। उत्तराखंड को कोविड से पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए उन्हें इस मोर्चे पर लगातार निगाह रखनी होगी।
8. चारधाम यात्रा का संचालन : चारधाम यात्रा का सीजन भी आरंभ होने जा रहा है। कुंभ मेले की चुनौती के साथ उन्हें चारधाम यात्रा के संचालन की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।