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विस्तार
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस यात्रा पर पश्चिमी राजधानियों में कड़ी निगाह रखी जा रही है। यहां आम राय है कि शी चीन के बढ़ते कूटनीतिक प्रभाव का मुजाहिरा करने के लिए इस यात्रा पर निकले हैं। शी जिनपिंग सोमवार को मास्को पहुंचे, जहां उनका असाधारण स्वागत किया गया। वहां पहुंचने के तुरंत बाद उनकी रूस के साथ राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से अनौपचारिक बातचीत हुई, जो साढ़े चार घंटों तक चलती रही।
पश्चिमी विश्लेषकों के मुताबिक शी और पुतिन इस यात्रा को अमेरिकी नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था को खुली चुनौती देने का मौका बना रहे हैँ। शी ने मास्को पहुंचने के बाद कहा- हम चाहते हैं कि दुनिया अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक चले, ना कि “किसी के” बनाए नियमों के तहत। इस टिप्पणी के जरिए शी ने अमेरिका पर सीधा निशाना साधा।
कुछ अमेरिकी विश्लेषकों के मुताबिक अपने राष्ट्रपति की इस यात्रा के जरिए चीन खुद को शांति दूत के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है। चीन की तरफ से ऐसे संकेत दिए गए हैं कि राष्ट्रपति शी की एक खास कोशिश यूक्रेन युद्ध समाप्त कराने की होगी। कुछ चीनी विश्लेषकों ने इसे ‘शांति के लिए यात्रा’ नाम भी दिया है। यह यात्रा सऊदी अरब और ईरान के बीच समझौता कराने में चीन को मिली कामयाबी के कुछ ही दिन बाद हो रही है। पिछले महीने चीन ने यूक्रेन युद्ध समाप्त कराने का अपना 12 सूत्री फॉर्मूला भी पेश किया था।
टीवी चैनल सीएनएन के एक विश्लेषण के मुताबिक अमेरिका और यूरोप में शी की इस यात्रा को रूस के लिए उनके मजबूत समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। कुछ ही रोज पहले अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने ‘युद्ध अपराध’ के आरोप में पुतिन के खिलाफ वारंट जारी किया। इसके बावजूद शी अपनी यात्रा का कार्यक्रम पर अडिग रहे। इसके अलावा पश्चिमी राजधानियों में आशंका है कि इस यात्रा के दौरान शी रूस को हथियारों की आपूर्ति के लिए सहमत हो सकते हैं।
कुछ हफ्ते पहले अमेरिका ने आरोप लगाया था कि चीन रूस को हथियार देने की तैयारी में है। तब अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि अगर चीन ने ऐसा किया, तो उसे युद्ध को भड़काने वाला कदम माना जाएगा और तब अमेरिका उस पर प्रतिबंध लगा सकता है। तब चीन ने इस आरोप का मखौल उड़ाया था। इस सिलसिले में अब अमेरिकी अधिकारी शी की मास्को में हो रही वार्ताओं पर नजर रख रहे हैं।
यूक्रेन की भी इस यात्रा पर कड़ी नजर है। वॉशिंगटन स्थित यूक्रेन की राजदूत ओकसाना मारकरोवा ने सीएनएन से बातचीत में कहा- ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि चीन इस भयानक युद्ध में रूस का साथी नहीं बनेगा।’
विश्लेषकों के मुताबिक मास्को में शी के सामने अपने को एक तटस्थ शांति दूत के रूप में पेश करने की चुनौती है। उनके सामने यह सुनिश्चित करने की चुनौती भी है कि अमेरिका और यूरोप चीन से और अधिक नाराज ना हो जाएं। यात्रा के मौके पर रूसी मीडिया में शी जिनपिंग का एक लेख छपा है। इसमें शी ने अपनी मौजूदा यात्रा को ‘दोस्ती, सहयोग और शांति’ के लिए यात्रा बताया है।