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US: अमेरिका में ऋण सीमा पर गतिरोध दूर होगा, पर समस्या बनी रहेगी- विशेषज्ञों की राय

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता महतो Updated Sun, 28 May 2023 04:45 PM IST
सार

डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों के बीच ऋण सीमा विवाद में एक प्रमुख मसला सरकारी खर्च में कटौती का है। रिपब्लिकन पार्टी की मांग है कि बाइडेन प्रशासन जन कल्याणकारी योजनाओं पर अपने खर्च में भारी कटौती करें।

US: The deadlock on the debt limit in America will end, but the problem will remain: experts' opinion
US Parliament - फोटो : Social Media

विस्तार
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पूर्व अनुमानों के मुताबिक अमेरिका में दोनों प्रमुख पार्टियां कर्ज सीमा बढ़ाने के मुद्दे पर सहमति के करीब पहुंच रही हैं। सत्ताधारी डेमोक्रेटिक और विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के प्रतिनिधियों के बीच शुक्रवार को हुई वार्ता के बाद दोनों दलों के सूत्रों ने संकेत दिया कि उनमें इस बात पर सहमति है कि ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए, जिससे अमेरिका के डिफॉल्ट करने (अपने कर्ज चुकाने में अक्षम होने) की नौबत आए। उन्होंने कहा कि अभी भी कुछ मुद्दों पर असहमति है, लेकिन अब समझौता काफी करीब है। 
  
लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस समझौते से दुनिया में डॉलर की हैसियत को सिर्फ फौरी राहत मिलेगी। अमेरिका ने असीमित कर्ज लेने की अपनी आदत पर रोक नहीं लगाई, तो डॉलर की साख और रुतबे में गिरावट को रोका नहीं जा सकेगा। मार्केट एक्सपर्ट जिम ग्रांट ने टीवी चैलन सीएनबीसी से कहा- ‘आप शायद इसकी कल्पना ना कर पाएं, लेकिन हमारी मुद्रा ही हमारा सबसे बड़ा निर्यात है। इसे दुनिया भर में भुगतान के लिए स्वीकार किया जाता है। लेकिन यह स्वीकृति और डॉलर में कर्ज लेने का चलन हर हाल में जारी रहेगा, हमें इसे निश्चित मान कर नहीं चलना चाहिए।’


डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों के बीच ऋण सीमा विवाद में एक प्रमुख मसला सरकारी खर्च में कटौती का है। रिपब्लिकन पार्टी की मांग है कि बाइडेन प्रशासन जन कल्याणकारी योजनाओं पर अपने खर्च में भारी कटौती करे। खबर है कि बाइडेन प्रशासन इसके लिए काफी हद तक तैयार हो गया है। इस बारे में लिखित आश्वासन मिलने के बाद रिपब्लिकन पार्टी कांग्रेस (संसद) में उस प्रस्ताव को मंजूरी दे देगी, जिससे कर्ज सीमा बढ़ाने का प्रावधान किया जाएगा। फिलहाल तय सीमा के मुताबिक अमेरिका सरकार 31.4 ट्रिलियन डॉलर तक ही कर्ज ले सकती है। इतना कर्ज वह पहले ही ले चुकी है। 

ग्रांट्स इंटेरेस्ट रेट ऑब्जर्वर नाम की किताब के लेखक जिम ग्रांट ने उम्मीद जताई कि ऋण सीमा को लेकर जारी गतिरोध जल्द ही दूर हो जाएगा। लेकिन उन्होंने आगाह किया कि बाइडेन प्रशासन जिस हद तक सरकारी खर्च में कटौती के लिए राजी हो रहा है, उससे राजकोषीय घाटे में कमी नहीं आएगी। ग्रांट ने कहा- ‘मेरी राय में गतिरोध दूर होगा, लेकिन समस्या बनी रहेगी।’

ग्रांट ने ध्यान दिलाया कि 2011 में भी ऋण सीमा संबंधी विवाद खड़ा हुआ था। तब तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन के इस आश्वासन के बाद गतिरोध दूर हुआ कि सरकार अगले दस साल में 2.2 ट्रिलियन डॉलर की बचत करेगी। जबकि असल में इस दौर में घाटा बढ़ कर 11.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया। ग्रांट ने कहा कि इस बार भी गतिरोध दूर करने के लिए कई वादे किए जाएंगे। लेकिन अतीत के अनुभव के आधार पर यही कहा जा सकता है कि उन सभी वादों को बाद में भुला दिया जाएगा। 

अन्य विशेषज्ञों ने भी कहा है कि अमेरिका पर जितना कर्ज चढ़ चुका है, वह डॉलर की हैसियत के लिए खतरा है। सीएनबीसी के कार्यक्रम में इन विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसी धारणा बनी रही, तो निवेशक अमेरिकी ट्रेजरी बिल और बॉन्ड्स में पैसा लगाने के पहले कई बार सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। 
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