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अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आतंकवाद पर जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि दुनियाभर में दहशत का पर्याय बन चुके आतंकी संगठन आईएसआईएस में भारतीय मूल के 66 लड़ाके हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सहित भारत की आतंकवाद रोधी एजेंसियों की सक्रियता से अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय आतंकवादी ताकतों को पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए सराहना की है।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बृहस्पतिवार को आतंकवाद पर देशों की रिपोर्ट 2020 जारी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव यूएनएससीआर 2309 को और हवाई अड्डों पर सामान की अनिवार्य ‘डुअल स्क्रीन एक्स रे’ से जांच क्रियान्वित करने में अमेरिका से गठबंधन कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 2309 सरकारों से नागरिकों की हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा को सुनिश्चित करने का आह्वान करता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने आतंकवाद पर श्रीलंका और मालदीव से भी खुफिया जानकारी साझा करने पर सहमति जताई है। आतंकवाद की चुनौतियों से भारतीय सुरक्षा एजेंसियां प्रभावी ढंग से निपट रही हैं मगर एजेंसियों के बीच सूचनाओं को साझा करने में खामियां हैं।
2020 में कोई विदेशी आतंकी भारत नहीं लौटा
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नवंबर तक इस्लामिक स्टेट से भारतीय मूल के 66 लड़ाकों के जुड़ने की जानकारी मिली है। इसके अनुसार कोई विदेशी आतंकवादी लड़ाका (एफटीएफ) वर्ष 2020 के दौरान भारत नहीं लौटा। भारत-अमेरिका सहयोग को रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका भारत सरकार के साथ रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाना जारी रखेगा, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों के जरिये जैसे 17वें आतंकवाद रोधी संयुक्त कार्यबल, अक्टूबर में तीसरा ‘टू प्लस टू’ मंत्री स्तरीय वार्ता शामिल है।
एनआईए ने इस्लामिक स्टेट से जुड़े 34 मामलों की जांच की
इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सहित भारतीय आतंकवाद रोधी एजेंसियों की सक्रियता से अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आतंकवादी बलों की पहचान करने और रोकने के लिए प्रशंसा की गई है। रिपोर्ट में कहा गया, एनआईए ने इस्लामिक स्टेट से जुड़े 34 मामलों की जांच की और 160 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें सितंबर महीने में केरल और पश्चिम बंगाल से अलकायदा से जुड़े 10 सदस्य शामिल हैं।