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US democracy summit organized by US President Joe Biden has put Pakistan in deep confusion
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US democracy summit: बाइडन का डेमोक्रेसी समिट बन गया शहबाज शरीफ के गले की फांस
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 28 Mar 2023 02:30 PM IST
सार
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US democracy summit: पाकिस्तान सरकार को असमंजस इस बात को लेकर है कि अमेरिका ने इस सम्मेलन में चीन और तुर्किये को आमंत्रित नहीं किया है। जबकि ताइवान को इसमें बुलाया गया है। सम्मेलन के बारे में आम धारणा है कि यह चीन को घेरने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है...
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ
- फोटो : Agency (File Photo)
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से आयोजित लोकतंत्र शिखर सम्मेलन ने पाकिस्तान को गहरे असमंजस में डाल दिया है। पाकिस्तान उन 120 देशों में शामिल हैं, जिन्हें इस शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। लेकिन सोमवार रात तक पाकिस्तान सरकार यह तय नहीं कर पाई थी कि वह इसमें हिस्सा लेगी या नहीं। दिसंबर 2021 में हुए पहले लोकतंत्र शिखर सम्मेलन के लिए भी पाकिस्तान को न्योता दिया गया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था।
पाकिस्तान सरकार के सूत्रों ने मीडिया को बताया है कि सोमवार देर रात तक इस बारे में उच्च स्तर पर चर्चा चलती रही। पाकिस्तान सरकार को असमंजस इस बात को लेकर है कि अमेरिका ने इस सम्मेलन में चीन और तुर्किये को आमंत्रित नहीं किया है। जबकि ताइवान को इसमें बुलाया गया है। सम्मेलन के बारे में आम धारणा है कि यह चीन को घेरने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है। इसलिए शहबाज शरीफ सरकार इस बात को लेकर आशंकित है कि उसके इसमें इसमें भाग लेने से चीन नाराज हो सकता है। तुर्किये को भी ये बात पसंद नहीं आएगी, जो पाकिस्तान का निकट सहयोगी देश है।
दिसंबर 2021 में तत्कालीन सरकार ने यह कहते हुए अमेरिकी न्योता स्वीकार नहीं किया था कि जो बाइडन ने अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से बाकी देशों के नेताओं को फोन किया, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान से बात नहीं की थी। इसके अलावा इमरान खान से लाइव भाषण देने के बजाय अपने भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग भेजने को कहा गया था, जिसे तत्कालीन सरकार ने पाकिस्तान के लिए अपमानजनक माना था।
तत्कालीन सरकार ने कूटनीतिक भाषा में एक बयान जारी किया था, जिसमें आमंत्रण देने के लिए अमेरिका को धन्यवाद दिया गया और कहा गया कि प्रधानमंत्री सही वक्त पर अमेरिका से संपर्क करेंगे। इमरान खान सरकार के इस रुख का चीन ने सार्वजनिक रूप से स्वागत किया था। उससे यह संदेश गया था कि पाकिस्तान ने वह फैसला चीन के इशारे पर लिया।
लेकिन इस बार नए हालात हैं, जिनसे शहबाज शरीफ सरकार के लिए अधिक मुसीबत खड़ी हुई है। शरीफ सरकार के सत्ता में आने के बाद से अमेरिका और पाकिस्तान के बीच उच्चस्तरीय संपर्क बना रहा है और दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की प्रक्रिया आगे बढ़ी है। इसके अलावा पाकिस्तान आईएमएफ से कर्ज पाने के लिए बेसब्र है। अमेरिका की नाराजगी से इसमें रुकावट आ सकती है।
विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिका की तरफ आम झुकाव के बावजूद शहबाज शरीफ सरकार ऐसे कोई कदम नहीं उठाना चाहती, जिससे चीन नाराज हो। चीन अकेला देश है, जिसने मौजूदा संकट के बीच पाकिस्तान को आर्थिक मदद दी है। एक सरकारी सूत्र ने अखबार द न्यूज से कहा- ‘पाकिस्तान सरकार तटस्थ रहना चाहती है। वह बड़ी ताकतों की रस्साकशी से दूर रहना चाहती है।’ जबकि विश्लेषकों की राय है कि ऐसा करना आसान नहीं होगा। इस बार एक ऐसी स्थिति सामने आई है, जिसमें लिया गया फैसला दोनों में से किसी ना किसी एक महाशक्ति को पसंद नहीं आएगा।
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