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US China tussle: जनमत सर्वेक्षण में खुलासा, यूरोप का बहुमत तो नहीं चाहता चीन से युद्ध

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, बर्लिन Published by: Harendra Chaudhary Updated Thu, 08 Jun 2023 02:14 PM IST
सार

सर्वे से सामने आया है कि अभी भी यूरोप में जनमत का एक बड़ा हिस्सा चीन को यूरोप का पार्टनर मानता है। ऐसी राय जताने वाले लोगों की संख्या 43 फीसदी रही। लोगों ने चीन को ऐसे पार्टनर के रूप में देखना पसंद किया, जिसके साथ वे सहयोग करना चाहेंगे...

US China tussle: Revealed in opinion poll, majority of Europe does not want war with China
US China tussle - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार
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यूरोप में बहुमत की राय है कि अगर अमेरिका और चीन के बीच युद्ध होता है, तो उस हाल में यूरोप को तटस्थ रहना चाहिए। यह बात यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की तरफ से यूरोप के 11 देशों में किए गए जनमत सर्वेक्षण से सामने आई है। बर्लिन स्थित इस संस्था की शाखाएं लगभग सभी यूरोपीय देशों में हैं।

इसकी ताजा सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 62 फीसदी यूरोपवासियों ने ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका और चीन के बीच युद्ध होने की स्थिति में यूरोप के तटस्थ रहने के पक्ष में अपनी राय जताई। जबकि 23 फीसदी लोगों ने कहा कि युद्ध में यूरोप को अमेरिका का साथ देना चाहिए।

इस सर्वे से सामने आया है कि अभी भी यूरोप में जनमत का एक बड़ा हिस्सा चीन को यूरोप का पार्टनर मानता है। ऐसी राय जताने वाले लोगों की संख्या 43 फीसदी रही। इससे संबंधित सवाल में सर्वे में शामिल लोगों के सामने कई विकल्प दिए गए थे। उनमें से सबसे ज्यादा लोगों ने चीन को ऐसे पार्टनर के रूप में देखना पसंद किया, जिसके साथ वे सहयोग करना चाहेंगे।

सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है- ‘यूरोपीय नागरिक अमेरिका-चीन टकराव में तटस्थ रहना चाहते हैं और चीन से संबंध को डी-रिस्क करने (जोखिम घटाने) की नीति के प्रति वे अनिच्छुक हैं। हालांकि वे यह स्वीकार करते हैं कि यूरोप में चीनी अर्थव्यवस्था की मौजूदगी से कुछ जोखिम जुड़े हुए हैं।’

यह सर्वे रिपोर्ट उस समय जारी हुई है, जब यूरोप में इस मुद्दे पर तीखी बहस चल रही है कि यूरोपियन यूनियन को चीन के साथ कैसा रिश्ता रखना चाहिए। यूरोपियन यूनियन (ईयू) के अधिकारी इस समय अपने ब्रसेल्स स्थित मुख्यालय में एक नई आर्थिक सुरक्षा रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैँ। इस दस्तावेज को अगले 20 जून को जारी किया जाएगा। समझा जाता है कि इस दस्तावेज में उन क्षेत्रों में यूरोपीय अर्थव्यवस्था को चीन से अलग करने के उपाय सुझाए जाएंगे, जिनमें यूरोप चीन पर अधिक अधिक निर्भर होता जा रहा है। इस बीच उन चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी भी की जा रही है, जिन पर यूरोप में निर्मित उच्च तकनीक वाले उत्पादों को रूसी सेना को बेचने का आरोप है।

खबर है कि चीन से संबंध के मुद्दे पर यूरोपीय नेताओं में मतभेद गहराते जा रहे हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उरसुला वॉन डेर लियेन इस मसले पर आमने-सामने हैं। सबसे पहले वॉन डेर लियन ने ही चीन से संबंधों में डी-रिस्किंग की रणनीति अपनाने की वकालत की थी, जिसे बाद में अमेरिका ने भी स्वीकार कर लिया।

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समझा जाता है कि अब जारी हुई सर्वे रिपोर्ट से मैक्रों जैसी राय रखने वाले नेताओं का पक्ष मजबूत होगा, जो चीन से संबंध के मामले में अमेरिका पिछलग्गू ना बनने की दलील दे रहे हैँ। फ्रांस में 53 फीसदी लोगों ने तटस्थ रहने के पक्ष में राय जताई। माना जा रहा है कि इसे देखते हुए अपनी दलील को आगे बढ़ाने के लिए मैक्रों का मनोबल बढ़ सकता है।

पोलैंड जैसे घोर रूस विरोधी देश में चीन के मामले में तटस्थ रहने की राय 51 फीसदी लोगों ने जताई। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है- ‘सर्वे के निष्कर्ष बताते हैं कि कई रूपों में यूरोप के नागरिक टीम वॉन डेर लियेन की तुलना में टीम के मैक्रों साथ ज्यादा हैं।’

 

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