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threat of terrorism is looming over Pakistan like ten years ago
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Pakistan: पाकिस्तान पर मंडराने लगा है आतंकवाद का दस साल पहले जैसा खतरा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Sat, 01 Apr 2023 03:31 PM IST
सार
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Pakistan: इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक के मुताबिक पाकिस्तान खास कर तीन आतंकवादी संगठनों का निशाना बना हुआ है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए), और इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) की गतिविधियां बेहद तेज हो चुकी हैं...
रक्षा विशेषज्ञों ने राय जताई है कि पाकिस्तान पर ठीक उसी तरह आतंकवाद का खतरा मंडराने लगा है, जैसी हालत 2013 के आसपास थी। 2013 में औसतन रोजाना चार आतंकवादी हमले होते थे। उस वर्ष आतंकवादी कार्रवाइयों में 2,700 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 2023 में दस साल पहले जैसी हालत दोहराई जा सकती है। इस साल के पहले तीन महीनों में लगभग 200 आतंकवादी कार्रवाइयां हुई हैं, जिनमें कम से कम 340 जानें गई हैं।
थिंक टैंक ईस्ट एशिया फोरम की तरफ से प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में जो हालात बनते दिख रहे हैं, उनकी जमीन 2022 के आखिरी तीन महीनों में ही तैयार हो गई थी। आतंकवाद के लिहाज से पिछला दिसंबर एक दशक के अंदर पाकिस्तान में सबसे घातक महीना रहा। दिसंबर में सैनिकों और पुलिसकर्मियों समेत 282 लोगों की जान गई। 2022 में पूरे साल के दौरान 973 लोग आतंकवाद की भेंट चढ़े।
इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज के कार्यकारी निदेशक इम्तियाज गुल के मुताबिक पाकिस्तान खास कर तीन आतंकवादी संगठनों का निशाना बना हुआ है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए), और इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासान प्रोविंस (आईएसकेपी) की गतिविधियां बेहद तेज हो चुकी हैं। आईएसकेपी आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान को खोरासन प्रांत में स्थित है और आईएसआईएस की शाखा है।
गुल के मुताबिक पिछले साल 28 नवंबर को टीटीपी ने पाकिस्तान सरकार के साथ चल रही अपनी बातचीत को एकतरफा ढंग से तोड़ दिया था। उसके बाद से उसने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का एलान कर रखा है। इस संगठन की मांग है कि सात सीमाई इलाकों का विशेष दर्जा बहाल किया जाए, जिन्हें पाकिस्तान सरकार ने मई 2018 में रद्द कर दिया था। साथ वह दर्जनों आतंकवादियों की रिहाई की भी मांग कर रहा है। उसने उन इलाकों की सूची भी सौंपी है, जहां वह पाकिस्तानी सेना के जाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है। पाकिस्तान सरकार इनमें से किसी मांग को मानने से इनकार कर चुकी है।
बीएलए बलूचिस्तान में चीन निर्मित परियोजनाओं को रोकने की मांग कर रहा है। पाकिस्तान के विशेषज्ञ इस संगठन को अलगाववादी बताते हैं। उनके मुताबिक इसका मकसद बलूचिस्तान को अलग देश बनाना है। आईएसकेपी चाहता है कि पाकिस्तान में शरिया कानून लागू कर कट्टर इस्लामी व्यवस्था लागू की जाए। इन दोनों संगठनों ने भी हाल में कई घातक हमले किए हैं। लेकिन भीषण हमलों के लिहाज से टीटीपी सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।
पाकिस्तान के सरकारी अधिकारियों का आरोप है कि टीटीपी को अफगान तालिबान का संरक्षण मिला हुआ है। पाकिस्तान सरकार औपचारिक तौर पर काबुल स्थित अफगान सरकार से टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर चुकी है, लेकिन तालिबान ने इसे नजरअंदाज कर रखा है। तालिबान ने पाकिस्तान सरकार के आरोपों का खंडन किया है।
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विशेषज्ञों के मुताबिक भू-राजनीतिक पहलू भी पाकिस्तान में आतंकवाद बढ़ने का कारण बने हुए हैं। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ रही होड़ इसमें प्रमुख है। उधर अफगानिस्तान में चीन के पांव पसरने के साथ आईएसकेपी चीनी ठिकानों का निशाना बना रहा है। उसने पाकिस्तान स्थित ऐसे ठिकानों को भी अपने निशाने पर ले रखा है।
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