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विस्तार
अफगानिस्तान में इलाकों को कब्जा करने के मामले में तालिबान जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, उससे पश्चिमी देशों के सुरक्षा विशेषज्ञ भी हैरत में हैं। पश्चिमी मीडिया की कई टिप्पणियों में कहा गया है कि तालिबान आगे बढ़ेगा, ये अनुमान तो था, लेकिन यह इतनी तेजी से होगा, इसका अंदाजा पहले नहीं था। पिछले कुछ दिनों के अंदर अफगानिस्तान के पांच प्रांतों की राजधानियों पर तालिबान का कब्जा हो गया है। इनमें कुंदूज जैसा बड़ा शहर भी शामिल है। खबरों के मुताबिक एक और बड़े शहर गजनी पर तालिबान के कब्जे का खतरा मंडरा रहा है।
अफगानिस्तान में इलाकों को कब्जा करने के मामले में तालिबान जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, उससे पश्चिमी देशों के सुरक्षा विशेषज्ञ भी हैरत में हैं। पश्चिमी मीडिया की कई टिप्पणियों में कहा गया है कि तालिबान आगे बढ़ेगा, ये अनुमान तो था, लेकिन यह इतनी तेजी से होगा, इसका अंदाजा पहले नहीं था। पिछले कुछ दिनों के अंदर अफगानिस्तान के पांच प्रांतों की राजधानियों पर तालिबान का कब्जा हो गया है। इनमें कुंदूज जैसा बड़ा शहर भी शामिल है। खबरों के मुताबिक एक और बड़े शहर गजनी पर तालिबान के कब्जे का खतरा मंडरा रहा है।
विश्लेषकों का कहना है कि तालिबान देहाती इलाकों में अपने पांव फैला लेगा, यह तो माना जा रहा था। इसकी वजह यह है कि उन इलाकों में उसके लिए समर्थन ज्यादा है। लेकिन वह शहरों पर जितनी जल्दी काबिज होने लगा है, उससे हैरत हुई है। अब पश्चिमी, खासकर अमेरिकी रणनीतिकारों को उम्मीद है कि अमेरिकी वायु सेना की बमबारी से तालिबान को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया जाएगा। लेकिन अंदेशा यह है कि अंधाधुंध बमबारी से बड़ी संख्या में निर्दोष लोग भी हताहत हो सकते हैं।
दूसरी समस्या यह है कि अमेरिका की घोषित नीति के मुताबिक 31 अगस्त को उसकी और नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) की फौज की वापसी पूरी होने के बाद वह व्यापक रूप से हवाई बमबारी नहीं करेगा। उसके बाद वह तभी ऐसी कार्रवाई करेगा, जब उसे किसी आतंकवादी ठिकाने के बारे में ठोस जानकारी मिलेगी। ऐसे में अगर आखिरी वक्त में अमेरिका ने अपनी नीति नहीं बदली, तो अगले 21 दिन में बमबारी से जो कामयाबी हासिल होगी, मुमकिन है कि वह सितंबर में खत्म हो जाए।