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Singapore: दूसरों की मदद करने के चक्कर में फंसा पुजारी, मंदिर के आभूषण गिरवी रखने के आरोप में छह साल की जेल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सिंगापुर
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 30 May 2023 03:50 PM IST
सेनापति ने साल 2016 में आभूषण गिरवी रखने शुरू किए थे और 2020 तक यह सिलसिला घोटाले के खुलासे तक जारी रहा। सिर्फ 2016 में ही सेनापति ने 66 सोने के आभूषण गिरवी रखे थे।
सिंगापुर में एक भारतीय पुजारी को छह साल जेल की सजा सुनाई गई है। दरअसल मंदिर की पुजारी को मंदिर के आभूषण गिरवी रखकर पैसों की गड़बड़ी करने का दोषी पाया गया था। पुजारी ने मंदिर के आभूषण गिरवी रखकर करीब 20 लाख सिंगापुर डॉलर लिए थे। भारतीय मूल के पुजारी कांडासामी सेनापति को सिंगापुर के हिंदू एंडोवमेंट बोर्ड के तहत आने वाले श्री मरिअम्मन मंदिर के पुजारी के तौर पर साल 2013 में नियुक्त किया गया था। घोटाले के सामने आने के बाद 30 मार्च 2020 को कांडासामी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
ऑडिट से हुआ खुलासा
कांडासामी सेनापति एक भारतीय नागरिक है और कोरोना महामारी के दौर में उसके द्वारा की गई धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। दरअसल कोरोना के दौरान मंदिर समिति ने संपत्ति का ऑडिट करने का फैसला किया। इसी ऑडिट में कांडासामी द्वारा की गई धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। साल 2014 में मंदिर समिति ने मंदिर के गर्भगृह की चाबियां और कोड नंबर दिया गया था। इसी गृभगृह में मंदिर का खजाना रखा है, जिसमें 255 गोल्ड ज्वैलरी रखी है, जिनकी कीमत करीब 11 लाख सिंगापुर डॉलर है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सेनापति ने साल 2016 में आभूषण गिरवी रखने शुरू किए थे और 2020 तक यह सिलसिला घोटाले के खुलासे तक जारी रहा। सिर्फ 2016 में ही सेनापति ने 66 सोने के आभूषण गिरवी रखे थे। गिरवी रखकर मिले पैसों में से कुछ सेनापति ने अपने बैंक खाते में रखे और कुछ पैसे भारत स्थित अपने घर भेज दिए। घोटाले के खुलासे के बाद मंदिर समिति ने पुजारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। फिलहाल मंदिर के सारे आभूषण मंदिर को वापस मिल चुके हैं और मंदिर समिति को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
मदद के चक्कर में की गलती
बचाव पक्ष के वकील मोहन दास नायडु ने बताया कि सेनापति, कैंसर के लिए फंड जुटा रहे अपने दोस्त की मदद करना चाहता था। साथ ही भारत में स्थित स्कूल और मंदिरों की मदद करना चाहता था। इसी के लिए उसने मंदिर के आभूषण गिरवी रखकर पैसों का इंतजाम किया लेकिन धीरे धीरे वह इसमें फंस गया। वकील ने कहा कि सेनापति की नीयत गलत नहीं थी। हालांकि अदालत ने दोषी को राहत नहीं दी और छह साल की सजा सुनाई।
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