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Saturn moon is leaving water fountains in space, life may be possible outside the earth
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शोध: शनि का चंद्रमा अंतरिक्ष में छोड़ रहा पानी के फव्वारे, धरती के बाहर भी संभव हो सकता है जीवन
एजेंसी, ह्यूस्टन।
Published by: देव कश्यप
Updated Mon, 29 May 2023 07:22 AM IST
इंसीलेडस इन फव्वारों के साथ जैविक और रासायनिक कण फैला रहा है। इंसीलेडस से निकलने वाले पानी के फव्वारे हमें इस बात का प्रमाण देते हैं कि धरती से बाहर भी जीवन संभव है। या हो सकता है कि वहां पर जीवन हो, जिसके बारे में हमें पता नहीं है।
शनि ग्रह और उसके चंद्रमा (सांकेतिक तस्वीर)।
- फोटो : NASA/JPL
शनि ग्रह का एक छोटा चांद अंतरिक्ष में इसके ध्रुव से पानी के विशालकाय फव्वारे छोड़ रहा है। इंसीलेडस नामक चांद से निकलने वाले पानी की बौछारों की लंबाई कई किमी तक है। नासा के जेम्स वेब टेलीस्कोप ने इसकी तस्वीर ली है।
इंसीलेडस इन फव्वारों के साथ जैविक और रासायनिक कण फैला रहा है। इंसीलेडस से निकलने वाले पानी के फव्वारे हमें इस बात का प्रमाण देते हैं कि धरती से बाहर भी जीवन संभव है। या हो सकता है कि वहां पर जीवन हो, जिसके बारे में हमें पता नहीं है।
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की प्लैनेटरी एस्ट्रोनॉमर सारा फैगी ने कहा कि ये विशालकाय फव्वारे हैं। असल में इंसीलेडस के क्रस्ट में मौजूद तरल बर्फीले समुद्र को सूरज की गर्मी भाप बनाती है। इससे शनि ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से अकसर ऐसे फव्वारे छूटते दिखते हैं।
सबसे पहले 2008 में देखी गई थी बौछारें
साल 2008 से 2015 के बीच नासा के कैसिनी स्पेसक्राफ्ट ने इस चंद्रमा के फव्वारों को देखा तो वैज्ञानिक हैरान रह गए। स्पेसक्राफ्ट में लगे मास स्पेक्ट्रोमीटर ने जीवन को पैदा करने वाले जैविक कणों यानी ऑर्गेनिक मॉलिक्यूल्स को इन फव्वारों के साथ निकलते देखा। इसके अलावा मॉलीक्यूलर हाइड्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड, मीथेन और पत्थरों के टुकड़े भी निकलते देखे गए।
कैसी है इंसीलेडस की दुनिया
इंसीलेडस एक बर्फीली दुनिया है, जो हमारे सौर मंडल के लगभग बाहरी इलाके में स्थित है। इस चांद की सतह पर समुद्र नहीं है, बल्कि सतह के नीचे हैं।
इंसीलेडस के समुद्र में जीव
कैसिनी के ऑब्जर्वेशन से पता चलता है कि इंसीलेडस के समुद्र में रहने योग्य हाइड्रोथर्मल वेंटस हैं। इतनी गहराइयों और अंधेरे में मीथैनोजेन्स रहते हैं। ये मीथेन गैस से जिंदा रहते हैं।
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