वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मॉस्को
Updated Thu, 14 Jan 2021 02:38 AM IST
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रूस के एक सर्कस में बंदर को नाजी के कपड़े में और बकरियों को स्वास्तिक बने कपड़े पहनाकर दिखाए जाने के बाद कुछ लोगों ने रोष जताया। जिसके बाद मामले में आपराधिक जांच के आदेश दिए गए। रूसी अभियोजकों ने नाजी की वर्दी में एक बंदर और स्वस्तिक बने कपड़े पहने दो बकरियों की परेड कराए जाने की जांच शुरू कर दी है।
दरअसल एक राज्य-संचालित सर्कस में एक बंदर को नाजी की वर्दी में और दो बकरियों को स्वस्तिक बने कपड़े पहनाकर क्रिसमस के प्रदर्शन के दौरान दिखाया गया है। इस सर्कस के प्रदर्शन की तस्वीरें वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा। उदमुर्तिया क्षेत्र के अभियोजक के कार्यालय ने एक बयान में कहा है कि स्थानीय स्टेट सर्कस द्वारा आठ जनवरी के प्रदर्शन के दौरान 'नाजी प्रतीकों वाले कपड़े पहने हुए जानवर' की तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह जांच की गई।
यह विचित्र शो क्रिसमस का जश्न मनाने के एक दिन बाद रूढ़िवादी चर्च की स्थानीय शाखा द्वारा इजेव्स्क में आयोजित कराया गया था। यह शो बच्चों के लिए रखा गया था, जिसमें जानवरों को सोवियत वर्दी पहने प्रशिक्षकों द्वारा नियंत्रित करते हुए दिखाया गया।
सर्कस द्वारा प्रकाशित एक वीडियो के अनुसार, सोवियत सेना की वर्दी में एक महिला सर्कस में बने रिंग के चारों ओर नाजी की ड्रेस पहने बंदर और दो बकरियों को उनकी पीठ पर लाल कंबल के ऊपर स्वास्तिक प्रदर्शित करते हुए परेड कराया जा रहा है। वीडियो में, स्थानीय पुजारी रोमन वोसेरेन्सेखिख ने प्रदर्शन को 'विभिन्न वर्षों के क्रिसमस में ऐतिहासिक भ्रमण' के रूप में वर्णित किया है।
इजेव्स्क, जो उदमुर्तिया का मुख्य शहर है और कलाशनिकोव हथियारों (एके-47) के संयंत्र के मुख्यालय के रूप में प्रसिद्ध है। यहां एक रूढ़िवादी सूबा ने एक बयान में कहा कि 'नाजी प्रतीकों का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में मॉस्को के पास जर्मन सेना की हार को दर्शाने के लिए किया गया था। सर्कस कला की एक विशेष विशेषता मनोरंजन है, और इस तथ्य में कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इसमें इस्तेमाल की जाने वाले जानवरों को ताने के तौर पर दिखाया गया है और इतना ही नहीं इसमें कभी-कभी किरदार भी होता है।'
रूढ़िवादी सूबा और सर्कस दोनों ने अपने बयान में दावा किया है कि प्रदर्शन के दौरान रूसी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया था।
रूस के एक सर्कस में बंदर को नाजी के कपड़े में और बकरियों को स्वास्तिक बने कपड़े पहनाकर दिखाए जाने के बाद कुछ लोगों ने रोष जताया। जिसके बाद मामले में आपराधिक जांच के आदेश दिए गए। रूसी अभियोजकों ने नाजी की वर्दी में एक बंदर और स्वस्तिक बने कपड़े पहने दो बकरियों की परेड कराए जाने की जांच शुरू कर दी है।
दरअसल एक राज्य-संचालित सर्कस में एक बंदर को नाजी की वर्दी में और दो बकरियों को स्वस्तिक बने कपड़े पहनाकर क्रिसमस के प्रदर्शन के दौरान दिखाया गया है। इस सर्कस के प्रदर्शन की तस्वीरें वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा। उदमुर्तिया क्षेत्र के अभियोजक के कार्यालय ने एक बयान में कहा है कि स्थानीय स्टेट सर्कस द्वारा आठ जनवरी के प्रदर्शन के दौरान 'नाजी प्रतीकों वाले कपड़े पहने हुए जानवर' की तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह जांच की गई।
यह विचित्र शो क्रिसमस का जश्न मनाने के एक दिन बाद रूढ़िवादी चर्च की स्थानीय शाखा द्वारा इजेव्स्क में आयोजित कराया गया था। यह शो बच्चों के लिए रखा गया था, जिसमें जानवरों को सोवियत वर्दी पहने प्रशिक्षकों द्वारा नियंत्रित करते हुए दिखाया गया।
सर्कस द्वारा प्रकाशित एक वीडियो के अनुसार, सोवियत सेना की वर्दी में एक महिला सर्कस में बने रिंग के चारों ओर नाजी की ड्रेस पहने बंदर और दो बकरियों को उनकी पीठ पर लाल कंबल के ऊपर स्वास्तिक प्रदर्शित करते हुए परेड कराया जा रहा है। वीडियो में, स्थानीय पुजारी रोमन वोसेरेन्सेखिख ने प्रदर्शन को 'विभिन्न वर्षों के क्रिसमस में ऐतिहासिक भ्रमण' के रूप में वर्णित किया है।
इजेव्स्क, जो उदमुर्तिया का मुख्य शहर है और कलाशनिकोव हथियारों (एके-47) के संयंत्र के मुख्यालय के रूप में प्रसिद्ध है। यहां एक रूढ़िवादी सूबा ने एक बयान में कहा कि 'नाजी प्रतीकों का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में मॉस्को के पास जर्मन सेना की हार को दर्शाने के लिए किया गया था। सर्कस कला की एक विशेष विशेषता मनोरंजन है, और इस तथ्य में कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इसमें इस्तेमाल की जाने वाले जानवरों को ताने के तौर पर दिखाया गया है और इतना ही नहीं इसमें कभी-कभी किरदार भी होता है।'
रूढ़िवादी सूबा और सर्कस दोनों ने अपने बयान में दावा किया है कि प्रदर्शन के दौरान रूसी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया था।