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Russia Ukraine War: टैंकों की सप्लाई से तुरंत नहीं बदल जाएगा यूक्रेन युद्ध के हालात, जानें विशेषज्ञों की राय

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वॉशिंगटन Published by: निर्मल कांत Updated Sun, 29 Jan 2023 06:38 PM IST
सार

अमेरिकी टैंक देने का एलान करते समय अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की उप प्रेस सचिव सबरीना सिंह ने कहा था- ‘अभी हमारे भंडार में अतिरिक्त टैंक उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए उन्हें यूक्रेन को सौंपने में कई महीने लगेंगे।’

Russia-Ukraine War- leopard 2 tank
Russia-Ukraine War- leopard 2 tank - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार

यूक्रेन को टैंक देने नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) के सदस्य देशों के फैसले से पश्चिमी राजधानियों में पैदा हुआ उत्साह अब कुछ ठंडा पड़ने लगा है। वहां विशेषज्ञ यह स्वीकार कर रहे हैं कि टैंकों की सप्लाई से यूक्रेन युद्ध की दिशा में तुरंत कोई नाटकीय बदलाव नहीं आएगा। 



यूक्रेन को अमेरिका ने एम-1 अब्राम्स, जर्मनी ने लियोपार्ड्स और ब्रिटेन ने चैलेंजर्स टैंक देने का एलान किया है। विशेषज्ञों के मुताबिक ये टैंक अलग-अलग हथियार प्रणालियों का हिस्सा हैं। यूक्रेन के लिए उन्हें एक साथ अपनी युद्ध योजना में शामिल करना आसान नहीं होगा। फिर अभी ये टैंक देने की घोषणा ही हुई है। असल में इनके पहुंचने में कितना वक्त लगेगा, यह साफ नहीं हुआ है। विश्लेषकों ने कहा है कि इसमें कई महीने लग सकते हैं।  


अमेरिकी टैंक देने का एलान करते समय अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की उप प्रेस सचिव सबरीना सिंह ने कहा था- ‘अभी हमारे भंडार में अतिरिक्त टैंक उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए उन्हें यूक्रेन को सौंपने में कई महीने लगेंगे।’

युद्ध विशेषज्ञों के मुताबिक आधुनिक युग के टैंक जटिल किस्म के होते हैं। उन्हें बेहद जहीन इलेक्ट्रॉनिक और कंप्यूटर सिस्टमों से संचालित किया जाता है। इस संचालन के लिए उच्च दर्जे का प्रशिक्षण आवश्यक होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समॉथ में सैन्य विशेषज्ञ फ्रैंक लेडविज ने वेबसाइट कन्वर्सेशन पर लिखा है- ‘टैंक और अन्य हथियारों को देने के फैसले से यूक्रेन और अगले एक दशक तक यूरोप की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।’

रक्षा विश्लेषक निकॉलस ड्रमॉन्ड ने कहा है- ‘यूक्रेन को किस प्रकार के टैंक दिए जाते हैं, मेरी राय में उससे ज्यादा महत्त्वपूर्ण यह है कि यूक्रेन के सैनिकों को उन टैंकों का इस्तेमाल करने संबंधी सहायता कितनी दी जाती है।’ ड्रॉमन्ड ब्रिटिश सेना के पूर्व अधिकारी भी हैं। उन्होंने राय जताई कि जो टैंक दिए जा रहे हैं, उनमें सिर्फ जर्मनी में लियोपार्ड्स ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल करना आसान है और संभवतः उनसे ही यूक्रेन को सबसे ज्यादा मदद मिलेगी। 

अमेरिकी सेना के फर्स्ट आर्मर्ड डिवीजन के कमांडर रह चुके मार्क हर्टलिंग ने कहा है- ‘जो लोग कह रहे हैं कि यह या वो टैंक यूक्रेन को दे दो, वे शायद ऐसे लोग हैं जिन्होंने कभी नहीं देखा है कि टैंक को चलाया कैसे जाता है। युद्ध के दौरान मामूली गलती का विनाशकारी असर होता है।’ हर्टलिंग अब टीवी चैनल सीएनएन के सैन्य विश्लेषक हैं। उनकी राय में दिए जा रहे टैंकों को चलाने का प्रशिक्षण सबसे अहम बात है। 
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नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में सीनियर रिसर्च फेलॉ ड्रयू थॉम्पसन ने कहा है कि युद्ध के दौरान खास पुर्जे नाकाम या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। उन्हें तुरंत बदलना पड़ता है। उन्होंने कहा- पेंटागन ऐसा करने में कुशल है, लेकिन यूक्रेन में टैंकों का इस्तेमाल यूक्रेन और अमेरिका दोनों के लिए एक बड़ा जोखिम है। 

कुछ विश्लेषकों ने कहा है कि जो टैंक दिए जा रहे हैं, अगर उनमें से कुछ भी रूसी फौज नष्ट करने में सफल हुई, तो उसकी तस्वीरें दुनिया भर में जाएंगी और उससे रूस को प्रचार में आगे निकलने का बड़ा मौका मिलेगा।

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