रूस और यूक्रेन में जंग की तैयारियों और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा पुतिन व उनकी प्रेमिका पर व्यक्तिगत पाबंदियां लगाने की चेतावनी के बीच पेरिस से अच्छी खबर मिली है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुई मास्को व कीव के दूतों के बीच वार्ता में दोनों देश संघर्ष विराम के प्रति वचनबद्ध नजर आए। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि अमेरिका व उसके सहयोगी नाटो देश व रूस के बीच इससे तनाव कितना घट सकेगा। रूस व यूक्रेन दोनों फिलहाल संघर्ष विराम जारी रखने पर सहमत होने के साथ ही अगले माह फिर वार्ता करने पर भी रजामंद हुए हैं।
बैठक के बाद फ्रांस के दूत ने कहा कि आठ घंटे चली बातचीत के अच्छे संकेत मिले हैं। रूस और यूक्रेन के बीच इस बातचीत में फ्रांस व जर्मनी ने मध्यस्थता की। रूस द्वारा यूक्रेन की सीमा के पास अपनी सेना के भारी जमावड़े से लगने लगा था कि वह अपने नाटो समर्थक पड़ोसी देश यूक्रेन पर हमला कर सकता है। उधर नाटो व अमेरिका ने भी रूस के खिलाफ अपनी मोर्चाबंदी तेज कर दी है।
बाइडन की धमकी से रूस नरम पड़ा?
अमेरिका ने तो जेवलिन मिसाइलें यूक्रेन भेज दी हैं। वहीं राष्ट्रपति बाइडन ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन व उनकी प्रेमिका पर व्यक्तिगत पाबंदी लगाने की धमकी दे दी है। ऐसे में माना जा सकता है कि रूस थोड़ा नरम पड़ा है। पेरिस वार्ता के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि रूस व यूक्रेन बिना शर्त संघर्ष विराम पर सहमत हुए हैं। दो हफ्ते बाद जर्मनी के बर्लिन में इसी मुद्दे पर आगे बैठक होगी। फ्रांस ने संघर्ष विराम के फैसले का स्वागत किया है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के एक सहयोगी ने कहा कि लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच सुकूनदायक खबर मिली है।
दो हफ्ते में नतीजा दिखाई देगा
वार्ता में शामिल रूस के दूत दिमित्री कोजाक ने कहा कि तमाम मुद्दों पर असहमति के बाद भी हम पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष विराम पर सहमत हुए हैं। दो हफ्ते बाद बर्लिन बैठक में पेरिस की तरह ही दोनों देशों के दूत फिर बात करेंगे। कोजाक ने कहा- हमें उम्मीद है कि यूक्रेन ने हमारी बात को समझ लिया है। अगले दो हफ्ते में इसका नतीजा दिखाई देगा।
जर्मन सरकार के एक सूत्र ने पुष्टि की है कि वार्ता का अगला दौर बर्लिन में होगा। संभवत: फरवरी के दूसरे सप्ताह में यह वार्ता होगी। अच्छी बात यह है कि 2019 के बाद पहली बार रूस व यूक्रेन साझा बयान पर जारी हुए हैं। हालांकि अब देखना होगा कि संघर्ष विराम पर दोनों देशा अडिग रहते हैं या नहीं?
विस्तार
रूस और यूक्रेन में जंग की तैयारियों और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा पुतिन व उनकी प्रेमिका पर व्यक्तिगत पाबंदियां लगाने की चेतावनी के बीच पेरिस से अच्छी खबर मिली है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुई मास्को व कीव के दूतों के बीच वार्ता में दोनों देश संघर्ष विराम के प्रति वचनबद्ध नजर आए। हालांकि यह कहना मुश्किल है कि अमेरिका व उसके सहयोगी नाटो देश व रूस के बीच इससे तनाव कितना घट सकेगा। रूस व यूक्रेन दोनों फिलहाल संघर्ष विराम जारी रखने पर सहमत होने के साथ ही अगले माह फिर वार्ता करने पर भी रजामंद हुए हैं।
बैठक के बाद फ्रांस के दूत ने कहा कि आठ घंटे चली बातचीत के अच्छे संकेत मिले हैं। रूस और यूक्रेन के बीच इस बातचीत में फ्रांस व जर्मनी ने मध्यस्थता की। रूस द्वारा यूक्रेन की सीमा के पास अपनी सेना के भारी जमावड़े से लगने लगा था कि वह अपने नाटो समर्थक पड़ोसी देश यूक्रेन पर हमला कर सकता है। उधर नाटो व अमेरिका ने भी रूस के खिलाफ अपनी मोर्चाबंदी तेज कर दी है।
बाइडन की धमकी से रूस नरम पड़ा?
अमेरिका ने तो जेवलिन मिसाइलें यूक्रेन भेज दी हैं। वहीं राष्ट्रपति बाइडन ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन व उनकी प्रेमिका पर व्यक्तिगत पाबंदी लगाने की धमकी दे दी है। ऐसे में माना जा सकता है कि रूस थोड़ा नरम पड़ा है। पेरिस वार्ता के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि रूस व यूक्रेन बिना शर्त संघर्ष विराम पर सहमत हुए हैं। दो हफ्ते बाद जर्मनी के बर्लिन में इसी मुद्दे पर आगे बैठक होगी। फ्रांस ने संघर्ष विराम के फैसले का स्वागत किया है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के एक सहयोगी ने कहा कि लगातार बढ़ रहे तनाव के बीच सुकूनदायक खबर मिली है।
दो हफ्ते में नतीजा दिखाई देगा
वार्ता में शामिल रूस के दूत दिमित्री कोजाक ने कहा कि तमाम मुद्दों पर असहमति के बाद भी हम पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष विराम पर सहमत हुए हैं। दो हफ्ते बाद बर्लिन बैठक में पेरिस की तरह ही दोनों देशों के दूत फिर बात करेंगे। कोजाक ने कहा- हमें उम्मीद है कि यूक्रेन ने हमारी बात को समझ लिया है। अगले दो हफ्ते में इसका नतीजा दिखाई देगा।
जर्मन सरकार के एक सूत्र ने पुष्टि की है कि वार्ता का अगला दौर बर्लिन में होगा। संभवत: फरवरी के दूसरे सप्ताह में यह वार्ता होगी। अच्छी बात यह है कि 2019 के बाद पहली बार रूस व यूक्रेन साझा बयान पर जारी हुए हैं। हालांकि अब देखना होगा कि संघर्ष विराम पर दोनों देशा अडिग रहते हैं या नहीं?