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Putin-Xi Jinping Made a Special Strategy to Challenge Nato’s Expansion in Asia America Retaliated
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NATO Vs China-Russia: नाटो के एशिया में विस्तार के खिलाफ एकसाथ आए रूस-चीन, अमेरिका ने कही ये बड़ी बात
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Wed, 22 Mar 2023 10:27 PM IST
सार
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बताया जाता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पुतिन के सामने एक शांति प्रस्ताव भी रखा। जिसे पुतिन ने मानने से इनकार कर दिया। हालांकि कहा जा रहा है कि ये शांति प्रस्ताव केवल दिखावे के लिए था। चीन रूस के साथ हर तरह से खड़ा है और ये दौरा भी दुनिया को दिखाने के लिए ही है। चीन इसके जरिए रूस को एक तरह से समर्थन दे रहा है।
पुतिन, शी जिनपिंग और जो बाइडेन
- फोटो : सोशल मीडिया
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बुधवार को मास्को की अपनी राजकीय यात्रा समाप्त की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने अमेरिका की ओर से अपनाई गई हिंद-प्रशांत रणनीति का मुकाबला करने के लिए अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ ''समान, खुली और समावेशी सुरक्षा प्रणाली'' बनाने का संकल्प लिया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मिलकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दोनों देशों के संबंधों के नए युग की शुरुआत की बात कही। इसके अलावा पश्चिमी देशों द्वारा उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के एशिया में किये जा रहे विस्तार पर भी दोनों देशों ने चर्चा की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसको लेकर दोनों नेताओं ने चिंता व्यक्त की और कहा कि इसके जरिए अमेरिका अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। दोनों देशों ने नाटो के एशिया में विस्तार के खिलाफ एकसाथ आने पर सहमति भी बनाई। शी ने पुतिन के साथ गहन दौर की चर्चा की, जिसके बाद नेताओं ने "नए युग के लिए समन्वय की व्यापक रणनीतिक साझेदारी" और "चीन-रूस आर्थिक सहयोग में प्राथमिकताओं पर 2030 से पहले की विकास योजना" को गहरा करने के लिए दो संयुक्त बयानों पर हस्ताक्षर किए।
जिनपिंग के शांति प्रस्ताव को मानने से इनकार
बताया जाता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पुतिन के सामने एक शांति प्रस्ताव भी रखा। जिसे पुतिन ने मानने से इनकार कर दिया। हालांकि कहा जा रहा है कि ये शांति प्रस्ताव केवल दिखावे के लिए था। चीन रूस के साथ हर तरह से खड़ा है और ये दौरा भी दुनिया को दिखाने के लिए ही है। चीन इसके जरिए रूस को एक तरह से समर्थन दे रहा है।
चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद पुतिन ने कहा कि वह यूक्रेन पर बातचीत के लिए तैयार हैं। पुतिन ने युद्ध को लेकर चीन की ओर से दिए गए 12-सूत्रीय शांति प्रस्ताव की प्रशंसा भी की। पुतिन ने शी जिनपिंग के साथ बातचीत के बाद कहा, 'चीन द्वारा पेश की गई शांति योजना के कई प्रावधानों को शांतिपूर्ण समाधान के आधार के रूप में लिया जा सकता है। लेकिन ये तभी हो सकता है जब यूक्रेन और उसका साथ देने वाले बाकी पश्चिमी देश इसके लिए तैयार होंगे। हालांकि अभी तक हमने उनकी ओर से ऐसी तत्परता नहीं देखी है।'
यूक्रेन ने भी जिनपिंग को आमंत्रित किया
दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने भी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। एक बयान जारी कर जेलेंस्की ने कहा कि कीव ने चीन को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है और वह बीजिंग से जवाब का इंतजार कर रहा है। जेलेंस्की ने कहा, 'हमने चीन को शांति सूत्र के कार्यान्वयन में भागीदार बनने की पेशकश की। हमने अपने सूत्र को सभी चैनलों पर पारित किया। हम आपको बातचीत के लिए आमंत्रित करते हैं। हम आपके जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं।'
हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका ने कहा कि वह चीन को एक निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में सक्षम नहीं देखता है। संघर्ष को समाप्त करने के प्रयासों में एक बिचौलिया बनने के बीजिंग के उद्देश्य की वाशिंगटन आलोचना की।
अमेरिका पर भड़के चीन और रूस
पुतिन और शी जिनपिंग ने बातचीत के बाद अमेरिका पर जमकर भड़ास निकाली। एक संयुक्त बयान में दोनों नेताओं ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर वैश्विक सुरक्षा को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए पश्चिमी देशों को निशाने पर लिया। रूस और चीन ने घोषणा में कहा, 'पार्टियां संयुक्त राज्य अमेरिका से अपने एकतरफा सैन्य लाभ को सुरक्षित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक रणनीतिक स्थिरता को कम करने से रोकने का आह्वान करती हैं।'
उन्होंने एशिया में नाटो की बढ़ती उपस्थिति पर भी "गंभीर चिंता" व्यक्त की। शी और पुतिन ने साढ़े चार घंटे बातचीत की और एक-दूसरे को "प्रिय मित्र" कहा। चीन और रूस ने अक्सर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पश्चिम का मुकाबला करने के लिए स्थायी परिषद सदस्यों के रूप में अपनी वीटो शक्ति का उपयोग करते हुए लॉकस्टेप में काम किया है।
यूक्रेन पहुंचे जापान के प्रधानमंत्री
एक तरफ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस की यात्रा पर हैं तो दूसरी तरफ जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा भारत से सीधे यूक्रेन पहुंच गए। यहां उन्होंने बुचा शहर का दौरा किया, जहां रूसी सेना पर पिछले साल लोगों के साथ काफी अत्याचार किया था। जेलेंस्की ने अपने शाम के संबोधन में कहा, 'किशिदा के साथ हमारी बातचीत काफी उत्पादक रही।'
उन्होंने कहा, 'मैंने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए दुनिया को और अधिक सक्रिय रूप से संगठित करने, आक्रामकता से बचाने, रूसी आतंक से बचाने के लिए हमारे साथ मिलकर काम करने के लिए जापान की एक बहुत ही ठोस इच्छा के बारे में सुना।'
किशिदा की ये जापान यात्रा काफी महत्व रखती है, क्योंकि जापान इस साल मई में जी-7 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। जेलेंस्की ने मंगलवार को इसकी पुष्टि की कि वह वीडियो लिंक के माध्यम से जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। वहीं, दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को कहा कि वह यूक्रेन के साथ लगभग 15.6 बिलियन डॉलर के चार साल के ऋण पैकेज पर एक समझौते पर पहुंच गया है।
अमेरिका ने क्या कहा?
व्हाइट हाउस ने मंगलवार को कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस और उसके राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन में दुनिया में अमेरिकी तथा उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के प्रभाव का मुकाबला करने की संभावना देखते हैं। व्हाइट हाउस में रणनीतिक संचार के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक जॉन किर्बी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पुतिन रूस में चीन के राष्ट्रपति की मेजबानी कर रहे हैं। किर्बी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में चीन और रूस संबंधों पर चुटकी लेते हुए कहा, 'मुझे लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में ये दोनों देश करीब आ रहे हैं। मैं इसे गठबंधन नहीं कहूंगा... हां यह अमेरिका के खिलाफ एक समझौते वाली शादी की तरह है, कम से कम मुझे तो ऐसा ही लगता है। राष्ट्रपति शी रूस और रूस के राष्ट्रपति पुतिन में महाद्वीप और दुनिया में अमेरिकी प्रभाव और नाटो के प्रभाव का सामना करने की संभावना देखते हैं।'
उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति पुतिन, राष्ट्रपति शी में एक संभावित समर्थक देखते हैं। इस शख्स के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक दोस्त नहीं हैं। वह केवल उनसे ही उम्मीद कर सकते हैं। वह जो करना चाहते हैं, उसमें उन्हें यकीनन राष्ट्रपति शी का समर्थन चाहिए...।' पुतिन और शी की बैठक का जिक्र करते हुए किर्बी ने कहा कि यूक्रेन पर दोनों पक्षों ने अभी कहा है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए तथा अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'हम इससे सहमत हैं। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मुताबिक रूस को यूक्रेन के आतंरिक क्षेत्र से हट जाना चाहिए, क्योंकि वह संयुक्त राष्ट्र के एक अन्य देश का क्षेत्र है, जिस पर उसने आक्रमण किया है।' किब्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका को नहीं लगता कि चीन ने रूस को घातक हथियार मुहैया कराने पर विचार करना छोड़ दिया है, लेकिन अभी वह उस राह पर आगे नहीं बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, 'हमें ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि चीन आने वाले दिनों में रूस को घातक हथियार मुहैया कराने की तैयारी कर रहा है।'
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