रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को तीन महीने पूरे होने वाले हैं। 24 फरवरी की तड़के सुबह रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। तब से अब तक दोनों देशों के बीच जंग जारी है। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, 'युद्ध खूनी होगा, लड़ाई होगी, लेकिन कूटनीति के माध्यम से ही यह निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगा।'
आमतौर पर रूस को मुंहतोड़ जवाब देने की बात कहने वाले जेलेंस्की ने कूटनीतिक और बातचीत के जरिए मसले को हल करने के लिए कहा तो इसके कई मायने निकाले जाने लगे। कहा जाने लगा कि जेलेंस्की अब रूस के हमलों के आगे धीरे-धीरे टूट रहे हैं। वह हार मानने लगे हैं।
हालांकि, दूसरा पक्ष जेलेंस्की की बातों का समर्थन भी कर रहा है। इस पक्ष का मानना है कि युद्ध का हल केवल बातचीत से ही निकल सकता है। ऐसे में दोनों देशों को फिर से बातचीत के लिए टेबल पर आना चाहिए और जल्द से जल्द इस युद्ध को रोकना चाहिए।
आइए आंकड़ों के जरिए समझें जेलेंस्की ने क्यों कूटनीति के सहारे युद्ध खत्म करने की बात कही? इसके सियासी मायने क्या हैं और क्या रूस के आगे यूक्रेन घुटने टेकने लगा है?
24 फरवरी से दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हुआ था। इस युद्ध में यूक्रेन के 3800 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें 256 बच्चे थे। 4500 से ज्यादा नागरिक घायल हुए हैं। यूक्रेन का दावा है कि अब तक रूस के 28 हजार से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। वहीं, यूक्रेन के 75 लाख से ज्यादा नागरिक देश छोड़ चुके हैं।
रूस अब तक यूक्रेन के मैरियूपोल, डोनेस्क पर कब्जा कर चुका है। इसे वापस पाने के लिए यूक्रेन ने पूरी ताकत झोंक दी। इसके अलावा लुहांस्क में भी काफी हद तक रूसी सेना का कब्जा हो चुका है। खारकीव में भी दोनों देशों के बीच जंग जारी है। नए शहरों पर कब्जा करने के साथ-साथ रूसी सैनिक अपने इलाकों की रक्षा में जुटी यूक्रेनी सेनाओं पर तोप से गोले बरसा रहे हैं। उन पर रॉकेटों से भी हमला हो रहा है। रूस इस वक्त दो तरफ से हमला कर रहा है। उत्तर में आइजम और पश्चिम में सेवेरदोनेत्स्क से।
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शनिवार (21 मई) को यूक्रेन के नेशनल टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। उन्होंने कहा, 'युद्ध खूनी होगा, लड़ाई होगी लेकिन कूटनीति के माध्यम से ही यह निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगा।' इसके बाद जेलेंस्की ने कहा, 'रूस का यूक्रेन के सभी भूभागों पर कब्जा अस्थायी है। वह चाहे डोनबास का इलाका हो या क्रीमिया का। सभी इलाके यूक्रेन के पास वापस आएंगे।'
विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल कहते हैं, 'जेलेंस्की इस वक्त बीच में फंसे हैं। अगर वह हार मान लेते हैं तो अंतरराष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ खुद के देश के लोगों का भी नजरिया उनके प्रति अचानक बदल जाएगा। हालांकि, एक हकीकत यह भी है कि रूस के आगे धीरे-धीरे यूक्रेन पस्त होता जा रहा है। जेलेंस्की का हालिया बयान इन दोनों तथ्यों को दर्शाता है। जब जेलेंस्की कूटनीति की बात करते हैं तो उनके शब्दों से उनकी थकान और चेहरे पर हार का डर साफ समझ आता है। वह इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहना चाहते हैं कि किसी भी हालत में बातचीत का ट्रैक फिर से शुरू हो। वह अपने देश की सेना और नागरिकों का मनोबल भी ऊंचा रखना चाहते हैं। इसके चलते कूटनीति के साथ-साथ वह अपने भाषण में कहते हैं कि रूस के कब्जे से उनकी सेना सभी भूभाग वापस लाएगी।'
डॉ. आदित्य के अनुसार, 'रूस की सेना बेहद मजबूत है। इसके आगे यूक्रेन एक न एक दिन घुटने टेक ही देगा। अब यह देखना है कि यह कौन से दिन होगा। यूक्रेन अभी मजबूती से इसलिए भी लड़ाई लड़ पा रहा है, क्योंकि अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों से उसे मदद मिल रही है।'
यूक्रेन को मदद कर रहे ये देश
देश |
किस तरह की मदद दी? |
अमेरिका |
350 मिलियन यूएस डॉलर के हथियार |
यूरोपियन यूनियन |
502 मिलियन यूएस डॉलर की लीथल एड |
ब्रिटेन |
घातक हथियार |
फ्रांस |
डिफेंस एंटी एयरक्राफ्ट और डिजिटल हथियार |
नीदरलैंड |
200 एयर डिफेंस रॉकेट और 50 एंटी टैंक हथियार |
जर्मनी |
1000 एंटी टैंक हथियार और 500 जमीन से हवा में धमाका करने वाली मिसाइल |
नोट : इसके अलावा भी 40 से ज्यादा देश अलग-अलग तरह से यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। हालांकि, कोई भी देश सीधे तौर पर रूस से जंग में शामिल नहीं हुआ है। ये आंकड़े statista ने जारी किए हैं।
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने रक्षा मामलों के जानकार प्रो. अनुराग श्रीवास्तव से संपर्क किया। उन्होंने कहा, 'इस वक्त दोनों देश पीछे हटने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं। रूस किसी भी हालत में कमजोर दिखना नहीं चाहता है। वह तब तक युद्ध नहीं रोकेगा, जब तक यूक्रेन के सभी शहरों पर उसका कब्जा न हो जाए। पुतिन यूक्रेन के सभी शहरों पर कब्जा करके सत्ता परिवर्तन करना चाहते हैं। वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की युद्ध तो रोकना चाहते हैं, लेकिन वह कमजोर नहीं दिखाई देना चाहते हैं। इसलिए वह भी पीछे हटने का नाम नहीं लेंगे।'
प्रो. श्रीवास्तव के मुताबिक, इस युद्ध में पश्चिमी देशों की भूमिका भी ज्यादा सही नहीं है। अगर वह यूक्रेन को सिर्फ हथियार व युद्ध सामग्री देने की बजाय रूस से बातचीत का रास्ता तलाशें तो यह युद्ध रोका जा सकता है। हालांकि, ऐसा करके कोई देश अपनी अहमियत कम नहीं होने देना चाहता है। इसलिए यह अभी कहना मुश्किल होगा कि यह युद्ध कब तक चलेगा?
विस्तार
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को तीन महीने पूरे होने वाले हैं। 24 फरवरी की तड़के सुबह रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। तब से अब तक दोनों देशों के बीच जंग जारी है। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, 'युद्ध खूनी होगा, लड़ाई होगी, लेकिन कूटनीति के माध्यम से ही यह निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगा।'
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को तीन महीने पूरे होने वाले हैं। 24 फरवरी की तड़के सुबह रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। तब से अब तक दोनों देशों के बीच जंग जारी है। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, 'युद्ध खूनी होगा, लड़ाई होगी, लेकिन कूटनीति के माध्यम से ही यह निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगा।'
आमतौर पर रूस को मुंहतोड़ जवाब देने की बात कहने वाले जेलेंस्की ने कूटनीतिक और बातचीत के जरिए मसले को हल करने के लिए कहा तो इसके कई मायने निकाले जाने लगे। कहा जाने लगा कि जेलेंस्की अब रूस के हमलों के आगे धीरे-धीरे टूट रहे हैं। वह हार मानने लगे हैं।
हालांकि, दूसरा पक्ष जेलेंस्की की बातों का समर्थन भी कर रहा है। इस पक्ष का मानना है कि युद्ध का हल केवल बातचीत से ही निकल सकता है। ऐसे में दोनों देशों को फिर से बातचीत के लिए टेबल पर आना चाहिए और जल्द से जल्द इस युद्ध को रोकना चाहिए।
आइए आंकड़ों के जरिए समझें जेलेंस्की ने क्यों कूटनीति के सहारे युद्ध खत्म करने की बात कही? इसके सियासी मायने क्या हैं और क्या रूस के आगे यूक्रेन घुटने टेकने लगा है?