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Rapid growth of opium cultivation under military rule in Myanmar threat to neighborhood Updates
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Myanmar: म्यांमार में सैनिक शासन के तहत तेजी से बढ़ी अफीम की खेती, पास-पड़ोस को खतरा
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, यंगून
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Sun, 29 Jan 2023 06:42 PM IST
सार
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अफीम का इस्तेमाल मादक पदार्थ हेरोइन बनाने में किया जाता है। म्यांमार का गोल्डेन ट्राइएंगल कहे जाने वाले इलाके में दस साल पहले भी अफीम की काफी खेती होती थी। उसके बाद तत्कालीन सरकार के प्रयासों में इसमें कमी आनी शुरू हुई। लेकिन पिछले वर्ष दशक भर से चल रहा गिरावट का ट्रेंड पलट गया।
म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट के बाद से बढ़ी आर्थिक मुसीबत के बीच देश के किसान अफीम की खेती से गुजारा चलाने को मजबूर हो रहे हैं। बीते एक साल में देश के एक खास इलाके में अफीम की पैदावार बढ़ कर दोगुनी हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के अध्ययनकर्ताओं अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
अफीम का इस्तेमाल मादक पदार्थ हेरोइन बनाने में किया जाता है। म्यांमार का गोल्डेन ट्राइएंगल कहे जाने वाले इलाके में दस साल पहले भी अफीम की काफी खेती होती थी। उसके बाद तत्कालीन सरकार के प्रयासों में इसमें कमी आनी शुरू हुई। लेकिन पिछले वर्ष दशक भर से चल रहा गिरावट का ट्रेंड पलट गया।
संयुक्त राष्ट्र के मादक पदार्थ एवं अपराध (यूएनओडीसी) विभाग के दक्षिण एशिया कार्यालय में प्रतिनिधि जेरमी डगलस ने कहा है- ‘सैनिक तख्ता पलट के बाद सामने आए आर्थिक मसले, सुरक्षा संबंधी चिंताओं और आम शासन में बाधा से बनी स्थिति के बीच किसानों के पास इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है कि वे अफीम की खेती की तरफ लौट जाएं।’
गोल्डेन ट्राइएंगल इलाके में म्यांमार के उत्तरी इलाके आते हैं। इसके अलावा लाओस और थाईलैंड से जुड़े कुछ क्षेत्रों को भी इसमें शामिल माना जाता है। 1990 के दशक में यह इलाका दुनिया में हेरोइन का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता था। ये सूरत तब बदली, जब 2001 में अमेरिकी हमले के बाद अफगानिस्तान में उग्रवादी समूहों ने अफीम की बड़े पैमाने पर खेती शुरू कर दी। इसके बावजूद म्यांमार में अफीम की खेती जारी रही। इसके अलावा यहां मेथाम्फेटामाइन का उत्पादन भी शुरू हो गया। इन मादक पदार्थों का कारोबार करने वाले अपराधी गुट यहां सक्रिय रहे हैं।
यूएनओडीसी ने अब अनुमान लगाया है कि 2022 में गोल्डेन ट्राइएंगल इलाके में अफीम की पैदावार में 88 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। पिछले साल वहां 790 मिट्रिक टन अफीम पैदा हुआ, जबकि 2021 में यह आंकड़ा लगभग 420 टन था। 2013 के बाद यह सबसे बढ़ोतरी है। यूएनओडीसी के मुताबिक इस क्षेत्र में अफीम की खेती वाले इलाके में 33 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
पिछले साल किसानों से अफीम की खरीदारी के भाव में 69 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस कारण अफीम किसानों को 35 करोड़ डॉलर की आमदनी हुई। म्यांमार में मादक पदार्थों के व्यापारियों के मुनाफे में इससे भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। यूएनओडीसी के मुताबिक म्यांमार में अफीम से जुड़ी अर्थव्यवस्था पिछले साल दो बिलियन डॉलर तक पहुंच गई।
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म्यांमार के सैनिक शासन के प्रवक्ता ने संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के इन निष्कर्षों पर अपनी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। जबकि यूएनओडीसी की रिपोर्ट में बेहद गंभीर आरोप लगाए गए हैँ। इसमें कहा गया है कि फरवरी 2021 में जब सेना ने निर्वाचित सरकार का तख्ता पलट कर सत्ता अपने हाथ में ली, तो उसके बाद देश में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। अफीम की खेती में हुई वृद्धि का सबसे बड़ा कारण यही स्थिति है।
डगलस ने म्यांमार के पड़ोसी देशों को सुझाव दिया है कि सीमा पर की स्थिति का वे ठोस आकलन करें। इस सिलसिले में उन्हें कुछ कठिन विकल्पों का सहारा लेना पड़ सकता है। उन्होने चेतावनी दी है कि म्यांमार में बन रही स्थिति से आसपास का पूरा इलाका हेरोइन कारोबार की जद में आ सकता है।
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