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Sri Lanka: नया काउंटर टेररिज्म ड्राफ्ट बिल इसी महीने संसद में होगा पेश, विपक्ष का दावा- यह PTA से भी खतरनाक

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो Published by: शिव शरण शुक्ला Updated Sat, 01 Apr 2023 07:32 PM IST
सार

गुणावर्धने ने शनिवार को कहा कि नया बिल अप्रैल के तीसरे सप्ताह में संसद में पेश किया जाएगा। यह पीटीए की जगह लेगा। 17 मार्च को 97 पन्नों का एटीए सरकारी राजपत्र में प्रकाशित भी किया गया था।

PM Gunawardena says Sri Lanka new counter terrorism draft bill to be tabled in parliament this month
श्रीलंका संकट - फोटो : Agency

विस्तार

आर्थिक संकटों का सामना कर रहा श्रीलंका अपने विवादास्पद आतंकवाद रोधी कानून (पीटीए) 1979 को बदलने की तैयारी में है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुनावर्देना ने शनिवार को इस बारे में बड़ी जानकारी साझा की है। उन्होंने कहा कि बहुचर्चित आतंकवाद निरोधक कानून (पीटीए) 1979 की जगह नया आतंकवाद रोधी मसौदा विधेयक संसद में अप्रैल के आखिर में पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि श्रीलंका के आतंकवाद निरोधक कानून (पीटीए) को एक कठोर अधिनियम बताया जाता रहा है। देश की सिविल सोसायटी से लेकर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं तक ने इस कानून के इस्तेमाल की आलोचना की है।



जानकारी के मुताबिक, गुणावर्धने ने शनिवार को कहा कि नया बिल अप्रैल के तीसरे सप्ताह में संसद में पेश किया जाएगा। यह पीटीए की जगह लेगा। बता दें कि श्रीलंका पीटीए को जिस नए कानून के साथ बदलने की तैयारी में है उसे एंटी टेररिज्म एक्ट (एटीए) कहा जाता है। 17 मार्च को 97 पन्नों का एटीए सरकारी राजपत्र में प्रकाशित भी किया गया था। एटीए के जरिए   सुरक्षा बलों को आतंकवाद के रूप में किसी भी असंतोष को समाप्त करने या उसका सामना करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया के साथ कार्रवाई करने की शक्तियां दी जा रही हैं।


विवादों में रहा है आतंकवाद निरोधक कानून (पीटीए) 1979  
गौरतलब है कि बढ़ते तमिल अलगाववादी उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए एक अस्थायी उपाय के रूप में 1979 में पीटीए को लागू किया गया था। द्वीप राष्ट्र में यह हमेशा से विवादों से घिरा रहा है। इसके तहत लोगों को अनिश्चित काल के लिए आरोपित किए बिना हिरासत में रखने की अनुमति दी गई थी। इस कानून की अक्सर सरकारों द्वारा असंतोष को कुचलने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण के रूप में आलोचना की जाती रही है। यह कानून अपनी कठोर प्रकृति के लिए विपक्षियों के निशाने पर रहा है। 2016 से ही यूरोपीय संघ श्रीलंका सरकार से पीटीए को निरस्त करने और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक नया आतंकवाद विरोधी कानून लाने का आग्रह कर रहा है।

विपक्षी दलों को एटीए पर भी आपत्ति
बता दें कि श्रीलंका में विपक्ष और अधिकार समूहों ने एटीए पर भी आपत्ति जताई है। आलोचकों का आरोप है कि एटीए पीटीए से अधिक हानिकारक होगा। उन्होंने पहले ही एटीए पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह पीटीए से बहुत अलग नहीं है। विपक्ष और अन्य अधिकार समूहों का कहना है कि एटीए का इस्तेमाल लोकतांत्रिक विरोध और राजनीतिक विरोध को कुचलने के लिए किया जा सकता है। मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा ने एटीए को लेकर कहा कि यह अलोकतांत्रिक और सत्तावादी है क्योंकि यह राजनीतिक विरोधियों, ट्रेड यूनियनों और जनता को लक्षित करता है। वहीं, अल्पसंख्यक तमिलों के नेता मनो गणेशन ने एक नए आतंकवाद विरोधी कानून की जरूरत पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब देश वर्तमान में आतंकवाद के किसी भी कृत्य से मुक्त है। ऐसे में नए आतंकवाद विरोधी कानून की जरूरत ही नहीं है।  

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