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Pakistan under pervez Musharraf came close to resolving Kashmir issue claim former foreign minister kasuri
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Pakistan: मुशर्रफ के समय में कश्मीर मुद्दा सुलझाने के करीब पहुंच गए थे भारत-पाक, पूर्व विदेश मंत्री का दावा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Sun, 05 Feb 2023 08:30 PM IST
सार
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साल 2002 से 2007 तक खुर्शीद अहमद कसूरी पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहे। कसूरी ने किताब में बताया कि भारत पाकिस्तान के बीच पर्दे के पीछे करीब तीन साल तक बातचीत चली।
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने अपनी किताब में दावा किया है कि परवेज मुशर्रफ के दौर में भारत और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दा सुलझाने के करीब पहुंच गए थे। कसूरी ने बताया कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत पाकिस्तान के बीच चार पॉइंट फ्रेमवर्क पर सहमति लगभग बन गई थी। इसके लिए दोनों देशों के बीच पर्दे के पीछे से बातचीत चल रही थी। कसूरी ने दावा किया कि हालांकि कुछ राजनीतिक बदलावों के चलते इस समझौते को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका।
साल 2015 में प्रकाशित हुई अपनी किताब 'Neither A Hawk Nor A Dove' में खुर्शीद अहमद कसूरी ने बताया कि भारत पाकिस्तान के बीच कई स्तरों पर बातचीत चल रही थी और दोनों देशों की तरफ से जो कदम उठाए जाते वो अलग हटकर होते, जिसका उद्देश्य लंबे समय से लंबित कश्मीर मुद्दे का हल करना था। बता दें कि दिल्ली में पैदा हुए पूर्व जनरल परवेज मुशर्रफ का रविवार को दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। 1999 में करगिल युद्ध के पीछे भी परवेज मुशर्रफ का ही दिमाग बताया जाता है।
साल 2002 से 2007 तक खुर्शीद अहमद कसूरी पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहे। कसूरी ने किताब में बताया कि भारत पाकिस्तान के बीच पर्दे के पीछे करीब तीन साल तक बातचीत चली। कश्मीर मुद्दे के हल के लिए मुशर्रफ का चार प्वाइंट एजेंडे में दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू करना, कश्मीर की केंद्रियता को स्वीकार करना, पाकिस्तान, भारत और कश्मीर के लोगों को जो लोग स्वीकार नहीं हैं, उन्हें बाहर करना और ऐसे फैसले पर पहुंचना, जो भारत, पाकिस्तान और कश्मीर के लोगों तीनों को स्वीकार हो।
कसूरी ने बताया कि करगिल युद्ध के बाद गुजरात में जब 2001 में भूकंप आया तो मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन कर अपनी संवेदना प्रकट की थी, जिससे दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ हटी थी और वाजपेयी ने भी मुशर्रफ को भारत आने का न्योता दिया था। कसूरी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया कि यूपीए-एक सरकार के कार्यकाल के दौरान दोनों देशों लगभग समझौते के करीब पहुंच गए थे।
जुलाई 2001 में मुशर्रफ ने भारत का दौरा किया था और आगरा में मुशर्रफ और वाजपेयी के बीच बातचीत हुई थी। हालांकि दोनों देशों की कोशिश अंतिम चरण तक नहीं पहुंच पाई। 2008 में बढ़ते दबाव के चलते मुशर्रफ को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
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