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Pakistan: पाकिस्तान सरकार को अपनी दमनकारी नीति की कोई आलोचना मंजूर नहीं! IMF के खिलाफ खोला मोर्चा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता महतो Updated Thu, 01 Jun 2023 05:24 PM IST
सार

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंजूर कर्ज की रकम जारी करने के लिए व्यक्तिगत रूप से आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टेलीना जियोर्जियेवा से संपर्क किया था। आईएमएफ ने पिछले साल पाकिस्तान के लिए 6.5 बिलियन डॉलर का नया ऋण मंजूर किया था।

Pakistan: The Government of Pakistan does not accept any criticism of its repressive policy
Shehbaz Sharif - फोटो : Social Media

विस्तार
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पाकिस्तान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उसने आईएमएफ पर पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में दखल देने का इल्जाम मढ़ा है। जिस आईएमएफ के सामने कर्ज के लिए पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार महीनों से हाथ फैलाए हुए है, उसी के प्रति ताजा आक्रामकता का कारण पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों के खिलाफ चल रही दमनकारी कार्रवाइयों पर आईएमएफ की टिप्पणी है। 


इस हफ्ते आईएमएफ ने एक बयान में कहा था कि पाकिस्तान की हालिया राजनीतिक घटनाओं पर हमारी नजर है। हालांकि हम घरेलू राजनीति पर टिप्पणी नहीं करते, लेकिन हमें आशा है कि पाकिस्तान में संविधान और कानून के राज के सिद्धांत के अनुरूप शांति समाधान ढूंढा जाएगा।’ इस टिप्पणी से पाकिस्तान से सरकार भड़क गई है। बुधवार को वित्त राज्यमंत्री आयशा गौस पाशा ने कहा कि यह बयान कर्ज देने के लिए लगाई गई एक शर्त की तरह है और यह देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप है। 


जबकि बीते शनिवार को ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंजूर कर्ज की रकम जारी करने के लिए व्यक्तिगत रूप से आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टेलीना जियोर्जियेवा से संपर्क किया था। आईएमएफ ने पिछले साल पाकिस्तान के लिए 6.5 बिलियन डॉलर का नया ऋण मंजूर किया था। लेकिन उसे जारी करने के लिए उसने जो शर्तें लगाई थीं, पाकिस्तान सरकार उन्हें पूरा नहीं कर सकी है। इसी मुद्दे पर जारी गतिरोध को दूर करने की कोशिश में शरीफ ने जियोर्जियेवा से संपर्क किया था। लेकिन उन्हें भी सफलता हाथ नहीं लगी।

इस मुलाकात के दो दिन बाद पाकिस्तान में आईएमएफ मिशन के प्रमुख नाथन पोर्टर ने पाकिस्तान के मौजूदा हालत पर बयान जारी किया। उससे पाकिस्तान सरकार बौखला उठी। पाकिस्तान सरकार के सूत्रों ने आरोप लगाया है कि आईएमएफ अपने दायरे से बाहर जाकर पाकिस्तान की घरेलू राजनीति पर टिप्पणी करने लगा है।

इस मुद्दे पर पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पोर्टर से संपर्क किया। इस पर पोर्टर ने उन शर्तों को फिर से बताया, जो आईएमएफ ने पाकिस्तान सरकार के सामने रखी हैं। इनमें विदेशों से ऋण का इंतजाम करना, आईएमएफ के खाके मुताबिक नया बजट पेश करना, और विदेशी मुद्रा बाजार के सामान्य संचालन की स्थितियों को बहाल करना शामिल है। 

जबकि पाकिस्तान सरकार का दावा रहा है कि उसने आईएमएफ की सारी शर्तें पूरी कर दी हैं। अब सरकार साफ संकेत दे रही है कि उसने आईएमएफ से ऋण मिलने की उम्मीद छोड़ दी है। आयशा गौस पाशा ने कहा- ‘ऐसा नहीं है कि वित्त मंत्रालय आईएमएफ से सहमति ना बनने की स्थिति के लिए तैयार ना हो। प्लान बी हमेशा ही मौजूद रहा है, हालांकि हमारी प्राथमिकता अभी भी यही है कि आईएमएफ के प्रोग्राम पर अमल हो।’ 
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आईएमएफ के प्रति सख्त रुख दिखाते हुए पाशा ने कहा- ‘पाकिस्तान कानून के हिसाब से चल रहा है। आईएमएफ के पाकिस्तान मिशन के प्रमुख ने असाधारण बयान दिया। आईएमएफ को इस बात का अधिकार नहीं है कि वह पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में दखल दे।’
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