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Pakistan: आईएमएफ के सामने गिड़गिड़ाएगा या झुकेगा पाक? पढ़ें शहबाज सरकार की सिट्टी पिट्टी कैसे हो गई है गुम

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद Published by: संजीव कुमार झा Updated Tue, 31 Jan 2023 01:34 PM IST
सार

दरअसल, आईएमएफ ने बिजली सब्सिडी वापस लेना, गैस की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना और फ्री-फ्लोटिंग डॉलर जैसी शर्तें पाकिस्तान के सामने रख दिए हैं जिसे मानने पर शहबाज सरकार को सियासी मोर्चे पर झटका लग सकता है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ - फोटो : Social Media

विस्तार

दिवालिया होने की कगार पर खड़े पाकिस्तान के लिए आज चुनौती भरा दिन है। दरअसल, समीक्षा बैठक के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की टीम पाकिस्तान पहुंच चुकी है। अब शहबाज सरकार को निर्णय करना होगा कि वह आईएमएफ की शर्तों के सामने झुकेगा या दिवालिया होने का रिस्क लेना स्वीकार करेगा। पाकिस्तान के सामने आईएमएफ ने कुछ ऐसी शर्तें रखीं हैं जिसके सामने झुकना शहबाज सरकार के लिए बेहद कठिन फैसला होगा । यदि पाकिस्तान शर्तों को नहीं मानता है तो वह दिवालिया होने की कगार पर आ सकता है। बता दें कि पाकिस्तान की हालत देखकर कई पड़ोसी देश भी कर्ज देने से इनकार कर रहे हैं। आइए जानते हैं आखिर आईएमएफ के सामने पाकिस्तान सरकार की सिट्टी पिट्टी क्यों गुम हो गई है?



आईएमएफ ने रखी हैं ये शर्तें
दरअसल, आईएमएफ ने बिजली सब्सिडी वापस लेना, गैस की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना और फ्री-फ्लोटिंग डॉलर जैसी शर्तें पाकिस्तान के सामने रख दिए हैं जिसे मानने पर शहबाज सरकार को सियासी मोर्चे पर झटका लग सकता है।  हालांकि,  दिवालियापन की संभावना के बाद अब कई पड़ोसी देशों ने भी  बेलआउट पैकेज देने के लिए तैयार नहीं हो रहा है जिससे पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकना शुरू कर दिया है।


आईएमएफ की शर्तें मानने पर महंगाई बढ़नी तय, जनता होगी नाराज
सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) (पीएमएल-एन) को डर है कि इनमें से कुछ मांगों को लागू करने से सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी। पाकिस्तानी सरकार चुनाव के इतने करीब इस तरह के रिस्क लेने से बचना चाहेगी। पाकिस्तान में अगस्त के बाद आम चुनाव होने हैं। हालांकि, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान मध्यावधि चुनाव की मांग कर रहे हैं।



हम श्रीलंका की तरह समाप्त हो जाएंगे: विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री 
विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री आबिद हसन ने कहा कि हम रास्ते के अंत में हैं। सरकार को इन (आईएमएफ) मांगों को पूरा करने के लिए जनता के लिए राजनीतिक मामला बनाना होगा। यदि वे नहीं करते हैं, तो देश निश्चित रूप से डिफॉल्ट होगा, और हम श्रीलंका की तरह समाप्त हो जाएंगे, जो कि और भी बुरा होगा।  श्रीलंका ने पिछले साल अपने ऋण पर चूक की और भोजन और ईंधन की कमी के महीनों को सहन किया, जिसने विरोध को भड़का दिया, अंततः देश के नेता को विदेश भागने और इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया।

डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया निचले स्तर पर 
पाकिस्तान इन दिनों सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। महंगाई यहां चरम पर पहुंच चुकी है। पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी ऐतिहासिक स्तर को पार कर गई हैं। वहीं, आईएमएफ कार्यक्रम को पटरी पर लाने के लिए पाकिस्तान द्वारा एक्सचेंज कैप हटाने के कारण पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। 261.17 पाकिस्तानी रुपये की कीमत एक डॉलर हो चुकी है। 
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पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 3.1 अरब डॉलर रह गया 
पाकिस्तान को दिसंबर में सिर्फ 53.2 करोड़ डॉलर का कर्ज मिला, जो बड़े पुनर्भुगतान के लिए पर्याप्त नहीं था। पिछले सात दिनों में देश ने चीनी वित्तीय संस्थानों को 828 मिलियन अमरीकी डॉलर का भुगतान किया। इसके परिणामस्वरूप आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 3.1 अरब डॉलर रह गया। दिसंबर में प्राप्त ऋण का लगभग 44 प्रतिशत एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से आया था जिसने 231 मिलियन अमरीकी डॉलर दिए थे। अब तक एडीबी 1.9 अरब डॉलर के वितरण के साथ सबसे बड़ा ऋणदाता बना हुआ है। यह राशि वार्षिक अनुमान का एक तिहाई है।   

आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2023 के लिए पाकिस्तान की सकल वित्तपोषण जरूरतों को 34 अरब डॉलर और विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए 6 अरब डॉलर की जरूरत का अनुमान लगाया है। इससे पाकिस्तान की कुल उधारी 40 अरब डॉलर हो जाएगी। हालांकि, सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केवल 22.8 अरब डॉलर के विदेशी ऋण का बजट रखा है।    
 

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