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फैसला: चीन और वामदलों के विरोध के बावजूद नेपाल ने स्वीकारी अमेरिका की 50 करोड़ डॉलर की मदद, संसद में प्रस्ताव मंजूर

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Sun, 27 Feb 2022 10:40 PM IST
सार

नेपाल और अमेरिका ने 2017 में एमसीसी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका उद्देश्य नेपाल में विद्युत पारेषण लाइन का निर्माण करना और राष्ट्रीय राजमार्गों को बेहतर बनाने जैसे बुनियादी ढांचे का काम करना शामिल हैं।

Nepal Parliament ratifies contentious US-funded grant agreement amidst protest by Leftist parties and China news and updates
नेपाल में विरोध के बावजूद संसद में स्वीकारा गया अमेरिकी आर्थिक मदद का प्रस्ताव। - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार
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नेपाल की संसद ने 50 करोड़ डॉलर (करीब 3500 करोड़ रुपये) की लागत वाले विवादित ‘मिलेनियम कॉरपोरेशन प्रोगाम’ (एमसीसी) को चर्चा के बाद मंजूरी दे दी। बताया गया है कि नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन ने अमेरिकी अनुदान सहायता का अनुमोदन करने पर आम सहमति बना ली, जिसके बाद अमेरिकी मदद को स्वीकार कर लिया गया। 


नेपाल और अमेरिका ने 2017 में एमसीसी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका उद्देश्य नेपाल में विद्युत पारेषण लाइन का निर्माण करना और राष्ट्रीय राजमार्गों को बेहतर बनाने जैसे बुनियादी ढांचे का काम करना शामिल हैं।


अमेरिकी सरकार ने संसद से इस वृहद परियोजना का अनुमोदन कराने के लिए 28 फरवरी की समय सीमा तय की थी। हालांकि, इस समझौते का कुछ राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं। 

नुमोदन प्रस्ताव के विरोध में रही थीं कम्युनिस्ट पार्टियां
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की सरकार ने अनुमोदन प्रस्ताव संसद में पेश किया था। लेकिन नेपाली कांग्रेस क नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन में शामिल दो कम्युनिस्ट पार्टियों ने साफ कह दिया है कि वे इसके खिलाफ मतदान करेंगी। उनका कहना है कि एमसीसी करार एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच अपना प्रभाव बढ़ाने की चल रही होड़ का हिस्सा है। नेपाल को इस होड़ से अलग रहना चाहिए।

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के इस रुख वजह से सारा ध्यान यूएमएल पर टिक गया है। प्रधानमंत्री देउबा यूएमएल का समर्थन पाने की कोशिश में ओली से कई बार बातचीत कर चुके हैं। इसी बीच अमेरिका और चीन के प्रतिनिधियों ने भी उनसे बात की है।
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