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Nepal Politics: बिजली क्षेत्र में पैठ बनाने की चीनी मंशा को पूरा करने पर अब नेपाल सरकार राजी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो Published by: Harendra Chaudhary Updated Tue, 07 Feb 2023 07:09 PM IST
सार

विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि हाल में नेपाल ने भारत के साथ बिजली के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाया था। खास कर पूर्व शेर बहादुर देउबा सरकार के समय इस बारे में कई सहमतियां हुईं। लेकिन अब चीन के भी इस क्षेत्र में कूद पड़ने से नए हालात पैदा होंगे...

Pushpa Kamal dahal and Xi jinping
Pushpa Kamal dahal and Xi jinping - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार

चीन अब नेपाल के बिजली क्षेत्र में भी अपनी पैठ बनाने की कोशिश में है। नेपाल सरकार इसी महीने इस सिलसिले में चीन के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने पर राजी हो गई है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस दिशा में पहल कोरोना महामारी आने के पहले हुई थी। तब नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (एनईए) और स्टेट ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ चाइना के प्रतिनिधियों को लेकर एक साझा तकनीकी समूह बना था। लेकिन महामारी आने के बाद ये प्रक्रिया वहीं ठहर गई। अब पुष्प कमल दहल की सरकार उस तकनीकी समूह की अगली बैठक के लिए राजी हो गई है।

नेपाल के अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक टेक्निकल ग्रुप की आखिरी बैठक मार्च 2020 में हुई थी। तब स्टेट ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ चाइना के अधिकारियों ने नेपाल की यात्रा की थी। लेकिन उसके बाद में इस बारे में चर्चा थम गई। एनईए के अधिकारी कमल नाथ अत्रेया ने अब बताया है- ‘हमने अगली बैठक फरवरी में नेपाल में करने के चीन के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। ये बैठक इस महीने के तीसरे हफ्ते में होगी।’

एनईए के ट्रांसमिशन निदेशालय के प्रमुख दीर्घायु कुमार श्रेष्ठ ने भी तीसरे हफ्ते में यह बातचीत होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा- ‘यह संयुक्त कार्य दल की बैठक होगी।’ चीनी दल के साथ बातचीत में एनईए के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व श्रेष्ठ ही करेंगे। उधर अत्रेया ने बताया कि बैठक के एजेंडे को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है।

विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि हाल में नेपाल ने भारत के साथ बिजली के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाया था। खास कर पूर्व शेर बहादुर देउबा सरकार के समय इस बारे में कई सहमतियां हुईं। लेकिन अब चीन के भी इस क्षेत्र में कूद पड़ने से नए हालात पैदा होंगे। लेकिन अत्रेया ने कहा कि चीन के साथ इस क्षेत्र में सहयोग सिर्फ कोरोना महामारी के कारण ठहरा हुआ था। अब कोरोना संबंधी प्रतिबंधों के हटने के बाद इस बारे में बातचीत को आगे बढ़ाने की अनुकूल स्थितियां बन गई हैं।

अत्रेया ने कहा कि फिलहाल नेपाल के पास अपने यहां बनी बिजली को बेचने के लिए अकेला बाजार भारत है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत सरकार के रुख के कारण नेपाल उस किसी बिजली संयंत्र में उत्पादित बिजली का निर्यात नहीं कर पाता, जिसमें चीनी उपकरण लगे हों। उन्होंने कहा- चीन के सहयोग से बनने वाली ट्रांसमिशन लाइन के जरिए नेपाल अपने यहां बनी बिजली चीन को बेचने में सक्षम हो जाएगा।

अत्रेया ने अखबार काठमांडू पोस्ट के साथ बातचीत में प्रस्तावित वार्ता के बारे में खास जानकारियां दी हैं। उन्होंने बताया कि इस दौरान दोनों देशों के बीच ट्रांशमिशन लाइन बनाने पर खास चर्चा होगी। साथ ही नेपाल में बिजली उत्पादन की वर्तमान और भावी क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए बिजली की बिक्री की संभावना के बारे में बातचीत की जाएगी। उन्होंने बताया कि राटामेट-रसुवागधी-केरुंग ट्रांशमिशन लाइन के संबंध में संभाव्यकता अध्ययन पहले ही कराया जा चुका है। अगली बैठक के बारे इस बारे में विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

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