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NASA scientists First time found Zombie star that Survived after Supernova Explosion
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Zombie star: पहली बार नासा के वैज्ञानिकों को मिला ‘जॉम्बी स्टार’, सुपरनोवा विस्फोट के बाद भी नहीं छोड़ा शरीर, हुआ जिंदा
एजेंसी, वाशिंगटन।
Published by: देव कश्यप
Updated Thu, 30 Jun 2022 03:58 AM IST
सार
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने इस तारे के बारे में पता लगाया है। यह एक सफेद बौना तारा है। यह सफेद तारा उस तारे का शेष भाग बताया जाता है, जिसने सुपरनोवा विस्फोट में खुद को खत्म कर लिया था।
जीवित सफेद बौने 'जॉम्बी स्टार' की पहचान पहली बार की गई है।
- फोटो : Twitter
गैस व धूल के बादलों के बीच जब किसी तारे में विस्फोट होता है, तो वह बहुत ज्यादा चमकदार हो जाता है। सुपरनोवा कहे जाने वाली इस घटना के दौरान खगोलविदों को एक ऐसे तारे के बारे में पता चला है, जो सुपरनोवा विस्फोट के बाद भी बचा रह गया। विस्फोट के बाद अब पहले से ज्यादा चमकदार हो गया है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने इस तारे के बारे में पता लगाया है। यह एक सफेद बौना तारा है। यह सफेद तारा उस तारे का शेष भाग बताया जाता है, जिसने सुपरनोवा विस्फोट में खुद को खत्म कर लिया था।
‘एस्ट्रोफिजिकल’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के प्रमुख लेखक और कैलिफोर्निया की लास कंब्रेस ऑब्जर्वेटरी के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक कर्टिस मैककली ने कहा कि यसफेद बौना तारा एनजीसी 1309 नामक एक स्पाइरल गैलेक्सी में रहता है। यह हमारी आकाशगंगा की लगभग तीन चौथाई है। यह तारा पृथ्वी से 108 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। गौरतलब है कि तारे का आकार, संरचना और विस्फोट की ताकत के आधार पर कई प्रकार के सुपरनोवा होते हैं।
पहली बार जीवित ‘जॉम्बी’ की पहचान
यह तारा वैज्ञानिकों को ‘टाइप लैक्स’ सुपरनोवा को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर रहा है। इस तरह के विस्फोट में तारे नष्ट नहीं होते, बल्कि अपने पीछे अवशेष छोड़ जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इन तारों को जॉम्बी स्टार्स कहा है। वो मर तो गए हैं, लेकिन पूरी तरह से नहीं। वैज्ञानिकों ने अब तक इस प्रकार के लगभग 50 सुपरनोवा का पता लगाया है, लेकिन जीवित सफेद बौने ‘जॉम्बी तारे’ की पहचान पहली बार की गई है।
अन्य तारे के साथ जुड़ा है ‘जॉम्बी’
यह सफेद बौना तारा (जॉम्बी) ऑर्बिट में एक अन्य तारे के साथ जुड़ा हुआ है। इस जोड़े को बाइनरी सिस्टम कहते हैं। लेकिन बाइनरी सिस्टम की वजह से ही इस तारे का द्रव्यमान सूर्य के बराबर पहुंच गया। इस वजह से इसके कोर में थर्मोन्यूक्लियर रिएक्शंस हुए और सुपरनोवा विस्फोट हो गया। इस विस्फोट के बाद तारे को मर जाना चाहिए था। लेकिन वैज्ञानिक हैरान रह गए, क्योंकि कभी भी ऐसा नहीं हुआ था।
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