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Myanmar: एनएलडी को भंग करने के बाद म्यांमार में बेमतलब हो गई है चुनाव की चर्चा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, यंगून Published by: Harendra Chaudhary Updated Thu, 30 Mar 2023 03:48 PM IST
सार

Myanmar: सैनिक शासन ने अभी तक प्रस्तावित चुनाव की तारीख का एलान नही किया है। लेकिन यूईसी के ताजा फैसले के बाद यह तय हो गया है कि जब कभी चुनाव होंगे, उसमें कौन हिस्सा ले सकेगा और कौऩ नहीं। देश की सबसे लोकप्रिय पार्टी एनएलडी उसमें भाग नहीं ले सकेगी...

Myanmar: After the dissolution of the NLD, the discussion of elections in Myanmar has become meaningless
myanmar election - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार

प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) को भंग करने के सैनिक शासन के फैसले के खिलाफ म्यांमार में नए सिरे से असंतोष फैला है। आंग सान सू ची की पार्टी एनएलडी ने 2020 के आम चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। पार्टी के नेतृत्व में नई सरकार एक फरवरी 2021 को सत्ता संभालने वाली थी, जिसके कुछ घंटे पहले सेना ने तख्ता पलट दिया। तब से सू ची समेत पार्टी के ज्यादातर नेता जेल में हैं। इस मंगलवार को सैनिक शासन ने इस पार्टी को भंग कर देने का एलान किया।

सैनिक शासन नियंत्रित यूनियन इलेक्शन कमीशन (यूईसी) ने पिछले जनवरी में राजनीतिक दलों के पंजीकरण के नए नियम जारी किए थे। उसके तहत सभी राजनीतिक दलों को नए सिरे से रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया था। एनएलडी सहित 40 दलों ने नए नियमों के तहत फिर से रजिस्ट्रेशन कराने से इनकार कर दिया। जबकि 50 अन्य दलों ने यूईसी के आदेश का पालन किया है, जिनमें सेना समर्थित यूनियन सॉलिडरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी (यूएसडीपी) भी शामिल है। बताया जाता है कि 13 और दलों ने रजिस्ट्रेशन के लिए अर्जी दी हुई है।

सैनिक शासन ने अभी तक प्रस्तावित चुनाव की तारीख का एलान नही किया है। लेकिन यूईसी के ताजा फैसले के बाद यह तय हो गया है कि जब कभी चुनाव होंगे, उसमें कौन हिस्सा ले सकेगा और कौऩ नहीं। देश की सबसे लोकप्रिय पार्टी एनएलडी उसमें भाग नहीं ले सकेगी।

वेबसाइट एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सैनिक शासन अभी तय नहीं कर पाया है कि चुनाव किस प्रणाली से कराए जाएंगे। आनुपातिक प्रणाली से चुनाव कराने का इरादा सरकार ने जताया है। लेकिन माना जाता है कि इस जटिल प्रणाली से चुनाव कराने के लिए म्यांमार का निर्वाचन आयोग सक्षम नहीं है।

संघर्ष (कॉन्फ्लिक्ट) और मानवाधिकार मुद्दों के विश्लेषक डेविक स्कॉट मेथिएसन ने कहा है कि म्यांमार के सैनिक शासकों का मकसद विश्वसनीय चुनाव कराना नहीं है। बल्कि वे वैधता पाने की कोशिश में चुनाव का स्वांग रचाना चाहते हैं। एनएलडी सहित 40 दलों को भंग किए जाने के बाद अब चुनाव को लेकर रही-सही दिलचस्पी भी खत्म हो गई है। चुनाव में अब सिर्फ सेना समर्थित दल और कुछ अनजान पार्टियां भाग लेंगी।

सैनिक तख्ता पलट के बाद से म्यांमार में व्यापक जन विरोध फैला हुआ है। कई इलाकों में हथियारबंद गुट सेना को चुनौती दे रहे हैं, जिनकी वजह वे इलाके युद्ध-क्षेत्र में तब्दील हो गए हैं। वहां मानव अधिकारों का बड़े पैमाने पर हनन हुआ है। कई क्षेत्र सरकारी मशीनरी की पहुंच से बाहर हो चुके हैं। इसलिए देश में इस समय चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है। इस बात का अहसास सैनिक शासकों को भी है। 27 मार्च को सशस्त्र सेना दिवस पर दिए अपने भाषण में सैनिक तानाशाह जनरल मिन आंग हलायंग ने कहा कि अभी देश में चुनाव कराने के लिए अनुकूल स्थिति नहीं है।

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इस भाषण एक दिन बात एनएलडी को भंग किए जाने की खबर आई। पिछले दो साल से इस पार्टी के नेता उत्पीड़न का शिकार बने रहे हैं। गौरतलब है कि आंग सान सू ची को 33 वर्ष कैद की सजा सुनाई जा चुकी है।

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