अमेरिका में रिपब्लिकन राष्ट्रपति की जगह डेमोक्रेट राष्ट्रपति आने का भारत के साथ उसकी दोस्ती पर कोई प्रभाव नहीं होगा। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से रक्षा मंत्री पद के लिए नामित रिटायर्ड जनरल लॉयड ऑस्टिन और नामित विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने स्पष्ट तौर पर भारत के साथ अमेरिकी सहयोग को और आगे बढ़ाने की बात कही। साथ ही चीन-पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिकी सख्ती जारी रहने की चेतावनी भी दी।
भारत के साथ जारी रखेंगे रक्षा साझेदारी, नामित रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री ने कहा
जो बाइडन के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण से एक दिन पहले मंगलवार को नामित रक्षा मंत्री जनरल ऑस्टिन अपनी नियुक्ति की पुष्टि के लिए अमेरिकी सीनेट की आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के सामने पेश हुए। उन्होंने कमेटी के एक सवाल के जवाब में कहा, मैं भारत का ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ का दर्जा जारी रखूंगा और साझा हितों पर अमेरिकी एवं भारतीय सेना की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने का प्रयास करूंगा।
ऑस्टिन ने चीन को लेकर कहा, चीन पहले ही ‘क्षेत्रीय दादा’ बन चुका है और अब उसका लक्ष्य ‘प्रभावी वैश्विक शक्ति’ बनने का है। चीन हमसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए काम कर रहे हैं और उनके प्रयास नाकाम करने के लिए पूरी सरकार को एक साथ मिलकर विश्वसनीय तरीके से काम करने की जरूरत होगी।
उधर, सीनेट की विदेश मामलों की समिति के सामने पेश हुए नामित विदेश मंत्री ब्लिंकन ने निवर्तमान रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत नीति का समर्थन किया। उन्होंने कहा, भारत एक के बाद एक आने वाले अमेरिकी प्रशासनों की द्विदलीय सफलता की कहानी है। चार घंटे से भी ज्यादा चली इस मैराथन बैठक में ब्लिंकन ने कहा, भारत से सहयोग क्लिंटन प्रशासन के आखिरी दिनों में शुरू हुआ था।
ओबामा प्रशासन के दौर में हमने रक्षा खरीद और सूचना साझेदारी में सहयोग बढ़ाया तथा ट्रंप प्रशासन ने इसे आगे बढ़ाकर हिंद-प्रशांत सहयोग की रणनीति पर काम किया। ब्लिंकन ने चीन को लेकर कहा कि जब हम चीन को देखते हैं तो इसमें कोई शक नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर वह हमारे हितों, अमेरिकी लोगों के हितों के लिए सबसे अधिक चुनौती पेश कर रहा है। अमेरिका को इस चुनौती का सामना कमजोरी के बजाय मजबूती से करना चाहिए।
भारत विरोधी संगठनों पर पाक की कार्रवाई अधूरी: ऑस्टिन
मेरा मानना है कि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-ताइबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे भारत विरोधी संगठनों के खिलाफ भी कार्रवाई की है, हालांकि यह कार्रवाई अधूरी है। यदि मैं रक्षा मंत्री बना तो मैं पाकिस्तान पर अपनी जमीन का उपयोग आतंकवादियों और हिंसक कट्टरपंथी संगठनों की शरणगाह के तौर पर नहीं होने देने के लिए दबाव बनाऊंगा। हालांकि अलकायदा और इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रॉविंस (आईएसआईएस-के) को हराने और क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए पाकिस्तान के साथ काम करना जरूरी है।
चीन के खिलाफ हम भारत के साथ : टॉनी ब्लिंकन
हम भारत के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि क्षेत्र में चीन समेत कोई देश भारतीय संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सके और आतंकवाद के मुद्दे को भी हम साथ मिलकर निपटा रहे हैं। दोनों देशों के आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए बहुत सारे रास्ते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्षय ऊर्जा व विभिन्न तकनीकों के मजबूत हिमायती हैं। मेरे ख्याल से दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने की मजबूत संभावनाएं हैं।
अमेरिका में रिपब्लिकन राष्ट्रपति की जगह डेमोक्रेट राष्ट्रपति आने का भारत के साथ उसकी दोस्ती पर कोई प्रभाव नहीं होगा। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से रक्षा मंत्री पद के लिए नामित रिटायर्ड जनरल लॉयड ऑस्टिन और नामित विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने स्पष्ट तौर पर भारत के साथ अमेरिकी सहयोग को और आगे बढ़ाने की बात कही। साथ ही चीन-पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिकी सख्ती जारी रहने की चेतावनी भी दी।
भारत के साथ जारी रखेंगे रक्षा साझेदारी, नामित रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री ने कहा
जो बाइडन के 46वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण से एक दिन पहले मंगलवार को नामित रक्षा मंत्री जनरल ऑस्टिन अपनी नियुक्ति की पुष्टि के लिए अमेरिकी सीनेट की आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के सामने पेश हुए। उन्होंने कमेटी के एक सवाल के जवाब में कहा, मैं भारत का ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ का दर्जा जारी रखूंगा और साझा हितों पर अमेरिकी एवं भारतीय सेना की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने का प्रयास करूंगा।
ऑस्टिन ने चीन को लेकर कहा, चीन पहले ही ‘क्षेत्रीय दादा’ बन चुका है और अब उसका लक्ष्य ‘प्रभावी वैश्विक शक्ति’ बनने का है। चीन हमसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए काम कर रहे हैं और उनके प्रयास नाकाम करने के लिए पूरी सरकार को एक साथ मिलकर विश्वसनीय तरीके से काम करने की जरूरत होगी।
उधर, सीनेट की विदेश मामलों की समिति के सामने पेश हुए नामित विदेश मंत्री ब्लिंकन ने निवर्तमान रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत नीति का समर्थन किया। उन्होंने कहा, भारत एक के बाद एक आने वाले अमेरिकी प्रशासनों की द्विदलीय सफलता की कहानी है। चार घंटे से भी ज्यादा चली इस मैराथन बैठक में ब्लिंकन ने कहा, भारत से सहयोग क्लिंटन प्रशासन के आखिरी दिनों में शुरू हुआ था।
ओबामा प्रशासन के दौर में हमने रक्षा खरीद और सूचना साझेदारी में सहयोग बढ़ाया तथा ट्रंप प्रशासन ने इसे आगे बढ़ाकर हिंद-प्रशांत सहयोग की रणनीति पर काम किया। ब्लिंकन ने चीन को लेकर कहा कि जब हम चीन को देखते हैं तो इसमें कोई शक नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर वह हमारे हितों, अमेरिकी लोगों के हितों के लिए सबसे अधिक चुनौती पेश कर रहा है। अमेरिका को इस चुनौती का सामना कमजोरी के बजाय मजबूती से करना चाहिए।
भारत विरोधी संगठनों पर पाक की कार्रवाई अधूरी: ऑस्टिन
मेरा मानना है कि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-ताइबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे भारत विरोधी संगठनों के खिलाफ भी कार्रवाई की है, हालांकि यह कार्रवाई अधूरी है। यदि मैं रक्षा मंत्री बना तो मैं पाकिस्तान पर अपनी जमीन का उपयोग आतंकवादियों और हिंसक कट्टरपंथी संगठनों की शरणगाह के तौर पर नहीं होने देने के लिए दबाव बनाऊंगा। हालांकि अलकायदा और इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रॉविंस (आईएसआईएस-के) को हराने और क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए पाकिस्तान के साथ काम करना जरूरी है।
चीन के खिलाफ हम भारत के साथ : टॉनी ब्लिंकन
हम भारत के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि क्षेत्र में चीन समेत कोई देश भारतीय संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सके और आतंकवाद के मुद्दे को भी हम साथ मिलकर निपटा रहे हैं। दोनों देशों के आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए बहुत सारे रास्ते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्षय ऊर्जा व विभिन्न तकनीकों के मजबूत हिमायती हैं। मेरे ख्याल से दोनों देशों के साथ मिलकर काम करने की मजबूत संभावनाएं हैं।