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ISIL-K threatened to launch terrorist attacks against embassies of India, China, and Iran in Afghanistan
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UNSG: इस्लामिक स्टेट खुरासान की धमकी, भारत-चीन और ईरान दूतावास पर होगा आतंकी हमला, UN की रिपोर्ट में खुलासा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Thu, 09 Feb 2023 11:14 AM IST
सार
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पिछले साल जून में भारत ने तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद दूतावास से अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया था। हालांकि, 10 महीने बाद फिर से राजनयिक संबंध बहाल हो गए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जेपी सिंह के नेतृत्व में एक भारतीय दल ने काबुल का दौरा भी किया था और कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी और तालिबान व्यवस्था के कुछ अन्य सदस्यों से मुलाकात भी की थी।
इस्लामिक स्टेट (खुरासान) यानी ISIL-K ने अफगानिस्तान में भारत, ईरान और चीन के दूतावासों पर आतंकवादी हमले शुरू करने की धमकी दी है। इसके जरिए ये आतंकी समूह तालिबान और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच संबंधों को कमजोर करने की कोशिश में हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश की एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
गुरुवार को सुरक्षा परिषद ने 'आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे' विषय पर एक बैठक की। रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएसआईएल (खुरासान) ने खुद को तालिबान के लिए 'प्राथमिक प्रतिद्वंद्वी' के रूप में तैनात करना शुरू किया है। इनका कहना है कि तालिबान के लड़ाके देश को सुरक्षा प्रदान करने में असक्षम हैं।
पिछले साल जून में भारत ने तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद दूतावास से अपने अधिकारियों को वापस बुला लिया था। हालांकि, 10 महीने बाद फिर से राजनयिक संबंध बहाल हो गए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जेपी सिंह के नेतृत्व में एक भारतीय दल ने काबुल का दौरा भी किया था और कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्तकी और तालिबान व्यवस्था के कुछ अन्य सदस्यों से मुलाकात भी की थी।
रिपोर्ट में और क्या खुलासे हुए?
महासचिव की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद पिछले साल सितंबर में काबुल के रूसी दूतावास पर पहला हमला था। दिसंबर में इस्लामिक स्टेट (खुरासान) ने पाकिस्तान के दूतावास और चीनी नागरिकों द्वारा अक्सर आने वाले एक होटल पर हमले का दावा किया था। रिपोर्ट में कहा गया है, 'हाई-प्रोफाइल हमलों के अलावा ये आतंकवादी शिया अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं। हर रोज शिया अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं। इसके जरिए वह अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार को कमजोर कर रहे हैं।
हजार से तीन हजार हैं आतंकवादियों की संख्या
रिपोर्ट के अनुसार, मध्य और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में इस्लामिक स्टेट खुरासान के करीब एक से तीन हजार लड़ाके हैं। इनमें 200 मध्य एशियाई मूल के हैं। इनकी पूरी संख्या छह हजार के करीब है। ये अब तक मुख्य रूप से पूर्वी कुनार, नंगरहार और नूरिस्तान प्रांतों में केंद्रित थे, लेकिन अब एक बड़ा सेल काबुल और उसके आसपास भी सक्रिय हो गया है।
इस्लामिक स्टेट के ये आतंकवादी अब नशे का कारोबार करने लगे हैं। नशे के जरिए लोगों में अपनी पैठ बढ़ा रहे हैं ताकि सुनियोजित तरीके से हमले किए जा सकें। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि आईएसआईएल-के मीडिया संगठन वॉयस ऑफ खोरासन ने समूह की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए क्षेत्र में जातीय समूहों से भर्ती का लक्ष्य बनाया है। पश्तो, फारसी, ताजिक, उज्बेक और रूस में इसके लिए प्रचार किया जा रहा है।
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UNSG की रिपोर्ट में 'दिल्ली घोषणा' पर ध्यान दिया गया
अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए इस्लामिक स्टेट के खतरे को देखते हुए भारत में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी समिति की एक विशेष बैठक में 'दिल्ली घोषणा पत्र' का संज्ञान लिया गया है। भारत की अध्यक्षता में पिछले साल दिसंबर में सुरक्षा परिषद में दिल्ली घोषणा को स्वीकार किया गया था।
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