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BRICS bank: ब्रिक्स बैंक को सऊदी अरब की जरूरत है या सऊदी अरब को ब्रिक्स बैंक की?

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, रियाद Published by: Harendra Chaudhary Updated Tue, 30 May 2023 01:54 PM IST
सार

BRICS bank: ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में छपी एक खास रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब शामिल हुआ, तो ब्रिक्स बैंक के लिए धन इकट्ठा करना आसान हो जाएगा। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस के दबाव में आने के बाद ब्रिक्स बैंक के लिए फंडिंग का एक प्रमुख स्रोत कमजोर हो गया है...

is BRICS bank needs Saudi Arabia or Saudi Arabia needs BRICS bank?
BRICS bank - फोटो : Agency (File Photo)

विस्तार
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न्यू डेवलपमेंट बैंक में शामिल होने के सिलसिले में सऊदी अरब ने बातचीत शुरू की है। न्यू डेवलपमेंट बैंक को ही पहले ब्रिक्स बैंक कहा जाता था। इसका मुख्यालय चीन के शहर शंघाई में है। इस बैंक की स्थापना विश्व बैंक की तर्ज पर की गई है। अगर सऊदी अरब इसमें शामिल होता है, तो वह उसका नौवां सदस्य होगा।      

ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में छपी एक खास रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब शामिल हुआ, तो ब्रिक्स बैंक के लिए धन इकट्ठा करना आसान हो जाएगा। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस के दबाव में आने के बाद ब्रिक्स बैंक के लिए फंडिंग का एक प्रमुख स्रोत कमजोर हो गया है। पिछले सवा साल में बैंक को रूस से मिलने वाले फंड में कमी आई है। यह आम समझ है कि इस बैंक की स्थापना ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) ने ब्रेटन वुड्स संस्थानों के विकल्प के रूप में की थी। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को ब्रेटन वुड्स संस्थान के रूप में जाना जाता है।

न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा- ‘पश्चिम एशिया में हम सऊदी अरब को बहुत अहमियत देते हैं। उसके साथ फिलहाल हमारी लाभ-हानि की गणना आधारित बातचीत चल रही है।’ विश्लेषकों के मुताबिक एनडीबी अभी फंडिंग के अपने स्रोतों की समीक्षा में जुटा हुआ है। मंगलवार और बुधवार को बैंक की सालाना बैठक होने जा रही है। इसमें इस मुद्दे पर खास चर्चा होगी। विश्लेषकों के मुताबिक एनडीबी में सऊदी अरब के शामिल होने की यह खबर उस समय आई है, जब सऊदी अरब चीन के साथ अपने संबंध लगातार मजबूत कर रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले साल सऊदी अरब की यात्रा की थी। उसके बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों को गहरा करने की प्रक्रिया काफी तेज हो गई है।

एनडीबी की स्थापना 2015 में हुई थी। तब बताया गया था कि इसका मकसद विकासशील देशों में विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता देना होगा। अब तक उसने पांच संस्थापक सदस्य देशों में 96 परियोजनाओं के लिए 33 बिलियन डॉलर की सहायता दी है। बाद में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), मिस्र और बांग्लादेश भी एनडीबी का सदस्य बन गए।

सऊदी अरब एक धनी देश है। इसलिए उसे एनडीबी से सहायता की ज्यादा जरूरत नहीं है। जबकि माना जा रहा है कि उसके शामिल होने से एनडीबी के लिए धन जुटाना आसान हो जाएगा। एनडीबी में रूस की हिस्सेदारी 19 फीसदी है। लेकिन यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रूस अपनी देनदारी पूरी नहीं कर रहा है। उधर एनडीबी ने रूस में चल रही विकास परियोजनाओं को धन देना फिलहाल रोक रखा है।

एनडीपी के स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय के महानिदेशक अश्विनी मुथू ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा- ‘धन जुटाने के स्रोत तलाशना इस समय सबसे महत्त्वूपर्ण बात है। हमें संसाधन जुटाने में मुश्किल पेश आ रही है।’ लेकिन मुथू ने सऊदी अरब से चल रही बातचीत के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

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