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Indo-Pacific Strategies of US Allies and Partners worried about Russian Navy activities
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इंडो-पैसिफिक: रूसी नौ सेना की गतिविधियों से अमेरिका और उसके साथी चिंतित, कारण- रूस-चीन का संबंध मधुर होना
वर्ल्ड न्यूज, अमर उजाला
Published by: प्रशांत कुमार झा
Updated Thu, 16 Dec 2021 02:06 PM IST
सार
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रूस और आसियान के साझा नौ सैनिक अभ्यास की योजना बीते अक्तूबर में दोनों पक्षों के बीच हुए एक वर्चुअल सम्मेलन के दौरान बनी। शिखर सम्मेलन के बाद जारी साझा बयान में रूस ने कहा कि वह तटस्थ रहने के आसियान के रुख का पूरा समर्थन करता है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रूसी नौ सेना की बढ़ती गतिविधियों से जापान की चिंता बढ़ रही है। इससे अमेरिका के भी कान खड़े हुए हैँ। इन देशों की चिंता का असली कारण रूस और चीन के बीच बढ़ रहा तालमेल है। ऐसे तालमेल पर सबसे पहले उनका ध्यान बीते अक्तूबर में गया था, जब रूस और चीन की नौ सेनाओं ने जापान सागर में साझा अभ्यास किया। उस दौरान दोनों देशों के लड़ाकू जहाज त्सुगारु जलडमरूमध्य से भी गुजरे, जहां से जापान का अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण केंद्र काफी करीब है।
अब पिछले एक दिसंबर से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ- आसियान और रूस की नौ सेनाओं ने साझा अभियान शुरू किया है। इसमें इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम, ब्रुनेई के लड़ाकू और मालवाही जहाजों ने रूसी जहाजों के साथ साझा अभ्यास किया है। जापान के उप-मुख्य कैबिनेट सेक्रेटरी योशिहिको इसोजाकी ने कुछ समय पहले संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जापान अपने जल क्षेत्र के करीब चीनी और रूसी जहाजों की गतिविधियों पर निकटता से नजर रखे हुए है।
उसके कुछ दिन बाद मीडिया में अमेरिका के नेवी सेक्रेटरी कार्लोस डेल टोरो का एक बयान चर्चित हुआ। वेबसाइट एशिया टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक टोरो ने कहा था कि रूस और चीन ने ऐसे तरीके ढूंढे लिए हैं, जिनसे वे दूसरे देशों को धमकाना चाहते हैँ। ये दोनों देश नियम आधारित विश्व व्यवस्था का पालन नहीं कर रहे हैं।
रूस की वेबसाइट रशिया टुडे ने पिछले दो दिसंबर को बताया कि रूस ने माटुआ द्वीप पर मोबाइल मिसाइल सिस्टम तैनात किया है। माटुआ कुरील द्वीप समूह के बीच में मौजूद है। जानकारों के मुताबिक कुरील द्वीप समूह पर ज्वालामुखी फटने का खतरा मौजूद रहता है। वहां बेहद ठंड पड़ती है और मौसम कोहरे से भरा रहता है। इसलिए वहां मिसाइल तैनात करना खतरे को आमंत्रण देना है।
विश्लेषकों का कहना है कि आसियान का रूस के साथ मिल कर नौ सैनिक अभ्यास करना अपने-आप में जापान या अमेरिका समर्थक देशों के लिए खतरे की बात नहीं है। आसियान ने ऐसे साझा अभ्यान अमेरिका और चीन के साथ भी किए हैँ। इसका मतलब है कि आसियान अपने को तटस्थ रखना चाहता है। लेकिन उन देशों में चिंता इसलिए पैदा हुई है, क्योंकि ऐसे अभ्यासों से रूसी नौ सेना की पैठ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बन रही है। उधर रूस और चीन के संबंध मजबूत होते जा रहे हैँ।
पश्चिमी देशों के लिए चीन सबसे बड़ी चिंता
रूस और आसियान के साझा नौ सैनिक अभ्यास की योजना बीते अक्तूबर में दोनों पक्षों के बीच हुए एक वर्चुअल सम्मेलन के दौरान बनी। शिखर सम्मेलन के बाद जारी साझा बयान में रूस ने कहा कि वह तटस्थ रहने के आसियान के रुख का पूरा समर्थन करता है।
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विश्लेषकों का कहना है कि इस समय पश्चिमी देशों और जापान की प्रमुख चिंता चीन है। दक्षिण चीन सागर में उनका चीन के साथ टकराव चल रहा है। माना जाता है कि रूस की नौ सैनिक क्षमता आज भी चीन से ज्यादा है। ऐसे में रूस का साथ चीन को मिलने से पश्चिमी देशों के लिए कड़ी चुनौती खड़ी हो रही है। इसी वजह से रूस की गतिविधियों पर उनका ध्यान टिक गया है।
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